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Chhattisgarh Goats Breeds: छत्तीसगढ़ की पहचान है अंजोरी बकरी, जानें इसकी खासियत

अंजोरी बकरी दो साल के अंतराल में तीन बार बच्चे देती है. ये उसकी खासियत है.
अंजोरी बकरी की प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. बकरी पालन अब बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. कई बीमारियों में बकरी का दूध लाभकारी होने के चलते आज देहात ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी बकरी पालन किया जा रहा है. बकरियों की ऐसी नस्लें भी हैं, जो दूध के साथ मीट के लिए बहुत फेमस हैं. आज हम बात कर रहे हैं, छत्तीसगढ़ की एक नस्ल की, जो मीट और दूध के लिए जानी जाती है. बकरियों को पालकर एक से डेढ़ साल में उनसे अच्छी पैदावार ली जा सकती है. बकरी के बच्चे एक से डेढ़ साल में पालकर बेच सकते हैं. छत्तीसगढ़ की अंजोरी बकरी के बारे में बात करते हैं, इस आर्टिकल के जरिए.

छत्तीसगढ़ में अंजोरी बकरी यहां की स्थानीय बकरी है. देश भर में आज बकरियों की कुल 37 नस्लें हैं. बकरी को दूध और उनके मीट के लिए पाला जाता है. बकरी पालन कम खर्च में किया जा सकता है. बकरियों को चरने के लिए स्थान चाहिए होता है. इसलिए इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना होता है. मुर्गी पालन और मछली पालन की अपेक्षा बकरी पालन सरल होता है. छत्तीसगढ़ की अंजोरी बकरी के बारे में बात करें तो ये वहां की जलवायु के हि​साब से बेहद अच्छी है. इस बकरी को पालकर आप दो साल में इससे तीन बार बच्चे ले सकते हैं.

अंजोरी बकरी की खासियत: अंजोरी बकरी दो साल के अंतराल में तीन बार बच्चे देती है. ये उसकी खासियत है. 50 प्रतिशत बकरियां जुड़वां बच्चे देती हैं. इन बकरियों के दूध में मिठास होने के साथ गर्मी सहने की अधिक क्षमता होती है, जो कि अन्य नस्लों में नहीं पाई जाती है. अंजोरी नस्ल की बकरियां मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ के दुर्ग, बिलासपुर, धमतरी, राजनांदगांव, रायपुर, कवर्धा, बेमेतरा, बालोद आदि जगहों में पाई जाती हैं.

ऐसी होती है बनावट: अंजोरी बकरियों का रंग भूरा काला और आकार मध्यम होता है. वयस्क बकरे का वजन लगभग 20 से 35 किलो होता है. वहीं व्यस्क बकरी का वजन 15 से 30 होता है. बकरी लगभग आठ माह की उम्र में प्रजनन योग्य हो जाती है. ये दो साल में तीन बार बच्चे देती है.

देखभाल है जरूरी: गर्भवती बकरी जब एक सप्ताह में बच्चे देने वाली हो, तो उसे बाहर चरने बिल्कुल नहीं लेकर जाएं. अगर बकरी को प्रसव में कठिनाई हो रही है तो तत्काल पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. ताकि जो दिक्कत है उसे दूर किया जा सके. ऐसे करके आप गर्भवती बकरी को अच्छे से देखभाल कर सकते हैं.

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