नई दिल्ली. भारत में लगभग 74 बिलियन अंडे और 3.8 मिलियन टन पोल्ट्री मांस का उत्पाद होता है. अगर विश्व के अन्य देशों से इसकी तुलना करें तो अंडा प्रोडक्शन और ब्रायलर मांस उत्पादन के मामले में देश का स्थान तीसरा और सातवां है. देश में कुल अंडा उत्पादन में देषी मुर्गियों का योगदान केवल लगभग 14.5 है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पोल्ट्री बाजार 28.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है. दावा किया जा रहा हे कि 2024 से 2032 तक की अनुमानित अवधि में 8.1 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है जिससे 2032 तक लगभग 44.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बाजार पहुंच जाएगा.
एक्सपर्ट कहते हैं कि पोल्ट्री व्यवसाय चलाने के लिए एक अच्छी मार्केटिंग रणनीति का पालन किया जाना चाहिए. नियमित आधार पर पोल्ट्री मांस के बेचने के लिए रेस्तरां, दुकानों और नियमित ग्राहकों के साथ मिलकर संवाद करना आवश्यक कदम हैं. ताजा और अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट की सेलिंग बिना किसी देरी के किया जाना चाहिए. एक अच्छा विज्ञापन बनाकर ग्राहकों को अपने कुक्कुट प्रबंधन और उत्पाद की गुणवत्ता के बारे में बताया जाना चाहिए.
कुक्कुट प्रोसेसिंग इकाई की शुरुआत
एक्सपर्ट कहते हैं कि मांस की कीमत बाजार दर के आधार पर की जानी चाहिए. इसके साथ ही उपभोक्ताओं के लिए सही मूल्य पर प्रदान की जानी चाहिए. पोल्ट्री की गुणवत्ता, मात्रा और स्वच्छता आपके व्यवसाय के विकास के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं सहायक होगी. पोल्ट्री मीट मांग बढ़ रही है, इसका सेवन लोग ज्यादा कर रहे हैं. प्रोसेसिंग चिकन की स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग देखने को मिलती हैं. प्रोसेसिंग पोल्ट्री मांस की मांग अनुमानित रूप से पोल्ट्री मांस की कुल मांग का 20% हैं. कुक्कुट प्रोसेसिंग प्लांट और डिब्बाबंद (केंन) उत्पादों में ब्राइन में डिब्बाबंद (केंड) कुक्कुट मांस, तला हुआ चिकन जिसकी महानगरों, सुपर बाजारों और निर्यात के लिए भारी मांग हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक प्रोसेसिंग के दौरान छोड़े हए भाग से एक्स्ट्रा आय का बहुत अच्छा स्रोत बनाया जा सकता है.
कुक्कुट मांस का निर्माण और प्रोसेसिंग
चिकन मांस के स्वच्छ प्रोसेसिंग के लिए इकाई का निर्माण पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं जैसे अच्छी रोशनी, उचित हवा का आदान-प्रदान, पर्याप्त पीने योग्य पानी और उचित जल निकासी व्यवस्था के साथ किया जाना चाहिए. मांस और अन्य खाद्य उप-उत्पादों को संभालने के लिए अलग स्थान प्रदान किया जाना चाहिए. जबकि वध किए गए पक्षियों के न खाए जाने वाले भागों को संभालने के लिए स्काल्डिंग, डीफेदरिंग और निष्कासन के लिए अलग क्षेत्र प्रदान किया जाना चाहिए. मांस के शीत-भंडारण के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए. दीवारें और फर्श आसानी से साफ करने योग्य होने चाहिए.
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