नई दिल्ली. केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार (सीआईआरबी) ने एक ने एक डीएनए बैंक बनाया है. जहां पर भैंसों का डीएनए कलेक्ट किया जा रहा है. बैंक में जिन भैंसों का डीएनए कलेक्ट किया जा रहा है वो बहुत ही खास हैं. इसमें ज्यादातर उन्हीं भैंस का डीएनए कलेक्ट होगा, जो ज्यादा उत्पादन करती हैं, या उनकी कुछ न कुछ खासियत जरूर है. अब तक दो राज्यों पंजाब और हरियाणा की मुर्राह और नीली रावी नस्ल की भैंस के 1500 तक सैंपल संस्थान में बनाए गए बैंक में जमा हो चुके हैं. जल्द ही पूरे देश में खास किस्म की नस्लों का सैंपल यहां मौजूद होगा.
सीआईआरबी के पूर्व प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. सज्जन सिंह ने बताया कि डीएनए कलेक्ट करने के पीछे कई मकसद है. डीएनए बैंक में स्टोर सैंपल से हम कई काम कर सकते हैं. डीएनए से सबसे पहला हो जो फायदा है वो ये है कि संस्थान को रिसर्च में बहुत मदद मिलेगी. भविष्य में भैंसों में बीमारियों का पता लगाने में मदद मिलेगी और जीन को निकालकर बीमारियों को रोका जा सकेगा. वहीं कभी ऐसी स्थिति बनती है कि किसी महामारी की वजह से खास किस्म की नस्लें खत्म हो जाएं तो डीएनए की मदद से उन्हें फिर से तैयार किया जा सकता है.
ऐसी नस्लों का लिया जा रहा सैंपल
उन्होंने आगे कहा कि इससे भैंसों की फैमिली की मैचिंग भी कराई जा सकेगी. बोले कि, डीएनए स्टोर सिर्फ उन्हीं भैंसों की नस्लों का किया जाएगा जो दूध उत्पादन, मीट उत्पादन में बेहतर होंगी. या फिर उनकी प्रजनन क्षमता अच्छी होगी. उनका वेट अच्छा होगा. ताकि भविष्य में इसका इस्तेमाल किया जा सके. डीएनए कलेक्ट करने के लिए सीआईआरबी में अलग से सिस्टम बनाया गया है. इसके लिए एक लेबोरेटरी बनाई गई है. जहां पर लिक्विड नाइट्रोजन कंट्रोलर में इसे रखा जा रहा है. इसका डाटा भी कंप्यूटराइज्ड है.
देशभर से स्टोर किए जाएंगे डीएनए
इसे पूरे काम को करने के लिए डॉ. धर्मेंद्र डॉ. प्रदीप, डॉ. संजय, डॉ. मुस्तफा, डॉ. मीति पुनेठा और डॉ. राजेश लगे हुए हैं. इन सभी लोगों पर इस पूरे काम को करने सही ढंग से करने की जिम्मेदारी है. डॉ. सज्जन सिंह ने बताया कि सभी अन्य राज्यों को बताया गया है कि वो अपने यहां की खास ब्रीड का सैंपल भेजें. ताकि बैंक में इसे इकट्ठा किया जा सके. जल्द ही देशभर की तमाम स्पेशल ब्रीड का सैंपल यहां आने लगेगा और फिर इसमें से डीएनए अलग करके बैंक में रख दिया जाएगा ताकि इसका भविष्य में फायदा उठाया जा सके.
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