नई दिल्ली. अपने घरों में एक्वरियम में मछली पालकर खूबसूरती बढ़ाने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है. अब घर के एक्वेरियम में समुद्र की दो महंगी और बेहद डिमांडेट रंग-बिरंगी मछली को पालकर घर की खूबसूरती में चार चांद लगा सकते हैं. दरअसल, केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI) ने उच्च मूल्य वाली समुद्री सजावटी मछलियों के बीज उत्पादन में सफलता प्राप्त की है. इन दोनों समुद्री सजावटी मछलियों का नाम एज्योर डैमसेल और ऑर्नेट गोबी है. CMFRI ने इनके कैप्टिव प्रजनन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है.
गौरतलब है कि संस्थान के विझिनजाम क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिकों ने इन डिमांडेड समुद्री सजावटी मछली प्रजातियों के लिए बीज उत्पादन तकनीकों को कामयाबी के साथ विकसित और मान्यता दिलाई है. जिससे समुद्री सजावटी मछली जलीय कृषि और संबद्ध एन्टरप्राईजेस के लिए एक और संभावानाओं का दरवाजा खुल गया है.
गहरे नीले समुद्र से सुंदरी मछलियां
दोनों प्रजातियाँ अपनी सुंदरता, लीविंग रंगों और आकर्षक एक्वेरियम व्यवहार के कारण बेहद हही आकर्षक हैं. एज्योर डैमसेल एक रीफ से जुड़ी मछली है, जिसका रंग चमकीला नीला और गहरा पीला होता है. यह अपने प्राकृतिक आवास से ज्यादा दोहन किया जाता है, जिसे अब संवेदनशील (VU) श्रेणी में माना जाता है. भारत में इस मछली का वर्तमान बाजार मूल्य लगभग 350 रुपये प्रति मछली है, और अंतर्राष्ट्रीय बाजार दर 15-25 डॉलर प्रति मछली है.
पढ़ें ऑर्नेट गोबी की खासियत
वहीं समुद्री एक्वेरियम में एक लोकप्रिय किस्म, अलंकृत गोबी, अपने आकर्षक रंगों, अलंकृत पैटर्न और जिज्ञासु व्यवहार से किसी को भी अपनी ओर मोहित कर सकती है. सफेद बिंदुओं की पांच वर्टिकल लाइनों से सजे इसके आकर्षक पेक्टोरल पंख इसको बेहद ही खूबसूरत बनाते हैं. यह कठोर प्रजाति समुद्री एक्वेरियम के लिए एक मूल्यवान संपत्ति है, क्योंकि यह रेत को साफ करने और एक प्राचीन टैंक वातावरण को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसका शांतिपूर्ण स्वभाव और अन्य प्रजातियों के साथ अनुकूलता इसे टैंकों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाता है. जहां यह बिना किसी गड़बड़ी या टैंक के अन्य साथियों के लिए खतरा पैदा किए बिना पनप सकती हैं. इनका बिकने का आकार (5-8 सेमी) होता है. इसकी भारत में कीमत लगभग 250 डॉलर है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऑनलाइन खुदरा व्यापार मूल्य 15 से 30 डॉलर है.
कैसे किया जा सकता है उत्पादन
इस उपलब्धि के महत्व पर, CMFRI के विझिनजाम क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख डॉ. बी संतोष ने कहा कि यह विकास इनके सतत उत्पादन के लिए नए रास्ते खोलेगा. जंगली आबादी पर दबाव कम करेगा और नाजुक कोरल रीफ इकोलॉजी तंत्र के संरक्षण में योगदान देगा. उन्होंने कहा कि ये तकनीके अब व्यावसायिक पैमाने पर उत्पादन के लिए संभावित इंटरप्रेन्योर को उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा, “कोई भी एक्वाइरिस्ट या मछली पालक CMFRI द्वारा विकसित प्रोटोकॉल को अपनाकर आसानी से इन प्रजातियों के बीज उत्पादन तकनीकों को अपना सकता है.”इन मछलियों की उच्च मांग और बाजार मूल्य, साथ ही उत्पादन की अपेक्षाकृत कम लागत, इसे इच्छुक इंटरप्रेन्योर के लिए एक आकर्षक बिजनेस बनाती है. डॉ. संतोष ने कहा कि आर्थिक वर्कबिलिटी रिसर्च ने साबित कर दिया है कि 24 हजार युवा मछलियों के वार्षिक उत्पादन वाली एक मध्यम पैमाने की बीज उत्पादन इकाई से लगभग 12 लाख रुपये की वार्षिक आय होगी.
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