नई दिल्ली. गोवंश का गोरक्षपीठ की परंपरा रही है. जबकि गोरखपुर में मौजूद गोरखनाथ मंदिर की गोशाला इसका प्रमाण है. गोवंश की देशी प्रजातियों के लिहाज से इस गोशाला बेहद समृद्ध माना जाता है. वहीं पीठ की परंपरा के मुताबिक गोवंश का संरक्षण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर के रूप में योगी आदित्यनाथ की सबसे बड़ी प्राथमिकता है. बताते चलें कि निराश्रित गोवंश का संरक्षण, गो पालकों कई तरह की रियायत और देना इसी की कड़ी है. इसी तरह गोवंश बीमार न हों और उनका नियमित वैक्सीनेश हो और नस्ल सुधार ताकि उनकी उत्पादकता बढ़ाई जा सके. इसको लेकर सरकार काम कर रही है.
वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोवंश के संरक्षण और संवर्धन का ये सिलसिला जारी रहा तो आने वाले समय में उत्तर प्रदेश गाय के दूध के मामले में भी देश नंबर बन जाएगा. अभी यह उपलब्धि राजस्थान के नाम पर दर्ज है. उत्तर प्रदेश का स्थान दूसरा है. एक आंकड़े के मुताबिक प्रदेश में दुधारू गायों की संख्या करीब 0.66 करोड़ है. जबकि इनसे कुल 5.29 मिलियन टन दूध प्राप्त होता है. प्राप्त दूध में विदेशी नस्ल की गायों का दूध 1.7 मिलियन टन और मिश्रित और देशी नस्ल के दूध की मात्रा 4.2 मिलियन टन है.
देशी गाय का दूध क्वालिटी में होता है बेहतर
सीएम योगी ने कहा कि चूंकि देशी नस्ल की गाय का दूध विदेशी नस्ल की गायों से गुणवत्ता में बेहतर होता है. इनका विकास भारतीय जलवायु में हजारों वर्ष के अनुकूलन (कंडीशनिंग) के बाद हुआ है. लिहाजा भारतीय परिस्थितियों में इनको पालना आसान है. यही वजह है कि योगी सरकार का फोकस देशी गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन पर ही है. आने वाले समय में गोरखपुर और भदोही के वेटरनरी कॉलेज के बन जाने पर देशी गोवंश के संरक्षण और संवर्द्धन को और बढ़ावा मिलेगा. यहां होने वाले शोध का लाभ उत्तर प्रदेश खासकर पूर्वांचल के दो दर्जन जिलों के पशुपालकों को मिलेगा. इसका लाभ देशी गोवंश की बढ़ी उत्पादकता के रूप में मिलेगा. ऐसे में 16 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दूध के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान रखने वाला उत्तर प्रदेश गायों के दूध के उत्पादन के मामले में भी देश में पहले स्थान पर पहुंच जाएगा.
पायलट प्रोजेक्ट के तहत बने रहा वेटरनरी कॉलेज
बताते चलें कि इसी मंशा से मुख्यमंत्री योगी ने पिछले दिनों गोरखपुर में बनने वाले पशु चिकित्सा महाविद्यालय का स्थलीय निरीक्षण कर जरूरी निर्देश दिए थे. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया था कि गोरखपुर पशु चिकित्सा महाविद्यालय को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया जाए. वेटरनरी कॉलेज में पशुओं के रखने, चारागाह के लिए हो पर्याप्त रिजर्व लैंड हो और गौ सरोवर भी बनाएं. गोरखपुर के ताल नदोर में पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय का शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसी वर्ष 3 मार्च को किया था. 80 एकड़ में क्रमवार तीन चरणों मे बन रहे इस महाविद्यालय के निर्माण पर 350 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी. पहले चरण के निर्माण पर 277 करोड़ 31 लाख रुपये खर्च होंगे. 2026 तक पहले चरण का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा.
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