नई दिल्ली. गर्मी के मौसम में दुधारू पशुओं के लिए लोबिया चारे की फसल फायदेमंद है. लोबिया की खेती आमतौर पर सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. यह गर्मी और खरीफ मौसम की जल्द बढऩे वाली फलीदार, पौष्टिक एवं स्वादिष्ट चारे वाली फसल है. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने किसानों को लोबिया फसल की बिजाई संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि हरे चारे के अलावा दलहन, हरी फली (सब्जी) व हरी खाद के रूप में अकेले अथवा मिश्रित फसल के तौर पर भी लोबिया को उगाया जाता है.
हरे चारे की ज्यादा पैदावार के लिए इसे सिचिंत इलाकों में मई में तथा वर्षा पर निर्भर इलाकों में बरसात शुरू होते ही बीज बो देना चाहिए. उन्होंने बताया कि मई में बोई गई फसल से जुलाई में इसका हरा चारा चारे की कमी वाले समय में उपलब्ध हो जाता है. अगर किसान लोबिया को ज्वार, बाजरा या मक्की के साथ 2:1 के अनुपात में लाइनों में उगाएं तो इन फसलों के चारे की गुणवता भी बढ़ जाती है. गर्मियों में दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता बढ़ाने के लिए लोबिया का चारा अवश्य खिलाना चाहिए. इसके चारे में औसतन 15-20 प्रतिशत प्रोटीन और सूखे दानों में लगभग 20-25 प्रतिशत प्रोटीन होती है.
उन्नत किस्मों का चयन कर ज्यादा पैदावार लें
अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके पाहुजा ने बताया कि किसान लोबिया की उन्नत किस्में लगाकर चारा उत्पादन बढ़ा सकते हैं. लोबिया की सी.एस. 88 किस्म, एक उत्कृष्ट किस्म है जो चारे की खेती के लिए बेहतर है. यह सीधी बढऩे वाली किस्म है, जिसके पत्ते गहरे हरे रंग के तथा चौड़े होते हैं. यह किस्म विभिन्न रोगों विशेषकर पीले मौजेक विषाणु रोग के लिए प्रतिरोधी व कीटों से मुक्त है. इस किस्म की बिजाई सिंचित एवं कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में गर्मी तथा खरीफ के मौसम में की जा सकती है. इसका हरा चारा लगभग 55-60 दिनों में कटाई लायक हो जाता है। इसके हरे चारे की पैदावार लगभग 140-150 क्ंिवटल प्रति एकड़ है.
कितने बीज की होती है जरूरत
चारा अनुभाग के वैज्ञानिक डॉ. सतपाल ने बताया कि लोबिया की काश्त के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, लेकिन रेतिली मिट्टी में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है. लोबिया की अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानों को खेत की बढ़िया तैयारी करनी चाहिए. इसके लिए 2-3 जुताई काफी हैं. पौधों की उचित संख्या व बढ़वार के लिए 16-20 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ उचित रहता है. पंक्ति-से-पंक्ति की दूरी 30 सैंटीमीटर रखकर पोरे अथवा ड्रिल द्वारा बिजाई करें लेकिन जब मिश्रित फसल बोई जाए तो लोबिया के बीज की एक तिहाई मात्रा ही प्रयोग करें.
15 दिन में सिंचाई की पड़ती है जरूरत
उन्होंने किसानों को सलाह दी कि बिजाई के समय भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए. लोबिया के लिए सिफारिश किए गए राइजोबियम कल्चर से बीज का उपचार करके बिजाई करें. फसल की अच्छी बढ़वार के लिए 10 किलोग्राम नाइट्रोजन व 25 किलोग्राम फास्फोरस प्रति एकड़ बिजाई के पहले कतारों में ड्रिल करनी चाहिए. दलहनी फसल होने के कारण इसे नाइट्रोजन उर्वरक की अधिक आवश्यकता नहीं होती. मई में बोई गई फसल को हर 15 दिन बाद सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है.
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