नई दिल्ली. मछलीपालन के साथ बत्तख पालन करने पर न तो जलक्षेत्र में कोई खाद उर्वरक डालने की जरूरत होती है और न ही मछलियों को पूरक आहार देने की आवश्यकता होती है. जबकि मछली पालन पर लगने वाली लागत 40 से 60 प्रतिशत तक कम हो जाती है. वहीं पाली जाने वाली मछलियां और बत्तखें एक दूसरे की अनुपूरक होती हैं. बतखें पोखर के कीड़े-मकोड़े, मेढ़क के बच्चे टेडपोल, घोंघे, जलीय वनस्पति आदि खाती हैं. बत्तखों को पोखर के रूप में साफ-सुथरा एवं स्वस्थ परिवेश तथा उत्तम प्राकृतिक भोजन उपलब्ध हो जाता है तो बतख के पानी में तैरने से पानी में आक्सीजन की घुलनशीलता बढ़ती है जो मछली के लिए जरूरी है.
इसलिए अगर मछली पालन के साथ बत्तख पालन किया जाए तो फिर फायदा ही फायदा होगा. इससे मछलियों के साथ—साथ बत्तख को बेचकर भी कमाई की जा सकती है. आइए इस आर्टिकल में हम आपको मछली के साथ बत्तख पालन के कुछ फायदों के बारे में बताते हैं, जो इस कारोबार को खूब फायदेमंद बना रहा है.
मछली के साथ बत्तख पालन के फायदे पढ़ें यहां
-मछली सह बत्तखपालन से तालाब में अतिरिक्त खाद डालने की आवश्कता नहीं पड़ती है.
-मछलियां बत्तख की गिराई गई खुराक तथा बीट को भोजन के रूप में ग्रहण करती हैं, जिसके कारण अतिरिक्त कृत्रिम आहार मछलियों को नहीं देना पड़ता.
-बत्तखें जलीय वनस्पति पर नियंत्रण रखती हैं. बतखों को अपने भोजन का 50-60 फीसदी भाग जलक्षेत्र से ही प्राप्त हो जाता है. तथा कीड़-मकोड़े, पौधे, मेढ़क के बच्चे भोजन के रूप में ग्रहण करती हैं, जो कि मछलियो के लिए हानिकारक है.
-वहीं तालाब में बतख के तैरते रहनेसे वायुमण्डल की ऑक्सीजन निरंतर पानी में घुलती है.
-इसके अलावा बतख भोजन के लिए तालाब के तल की मिट्टी को उछालती रहती है, जिसके कारण उसमें विद्यमान पोषक तत्व पानी में आते रहते हैं, जिससे जलक्षेत्र की उत्पादकता में वृद्धि होती है.
बतखों के स्वास्थ्य की रक्षा
हर महीने बत्तखों का स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण करना चाहिए. बत्तख की आवाज में परिवर्तन, सुस्त चाल, कम मात्रा में भोजन ग्रहण करना, नाक व आंख से लगातार पानी का बहना इत्सादि लक्षण पाए जाने पर बीमार बत्तख को पोखर में नहीं जाने देना चाहिए. तुरन्त पशु चिकित्सक से सलाह लेकर उपचार करवाना चाहिए.
कितना होता है उत्पादन
मछली सह बत्तख पालन से प्रति हेक्टर प्रतिवर्ष 2500 किलो मछली का उत्पादन सम्मलित है साथ ही 14 हजार से 15 हजार अण्डे तथा 500-600 किलोग्राम बतख का मांस उपलब्ध होगा. इस प्रकार मछली के साथ-साथ बत्तख पालन करने से मत्स्य कृषकों को अतिरिक्त आय मिल सकेगी.
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