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Dairy Farming Business: ऐसे करें मोरिंगा की खेती, दूर हो जाएगा गर्मियों में पशुओं के पौष्टिक चारे का संकट

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. गर्मी की शुरुआत होते ही जगह-जगह चारे की कमी हो जाती है. किसानों को बहुत ही मुश्किल से पशुओं के लिए चारा मिल पाता है. ऐसे में पशुओं के लिए पौष्टिक और हरा चारा कहां से लाएं. इसे लेकर पशुपालक बहुत ज्यादा परेशान रहते हैं. अगर आपके सामने ऐसी मुश्किल खड़ी हो जाए तो घबराने की जरूरत नहीं. आप मोरिंगा की खेती को कर लें तो आपके सामने चारे का संकट भी दूर हो जाएगा और इसे बेचकर आप अच्छी कमाई कर सकते हैं. अब मन में सवाल आ रहा होगा कि इस मोरिंग की खेती को कैसे करें, तो इस बारे में हम आपको पूरी जानकारी दे रहे हैं, जिसे पढ़कर आप घर बैठे ही मोरिंग की खेती को कर सकते हैं. बता दें कि इस चारे को पांच साल की रिसर्च के बाद केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के वैज्ञानिकों ने भी तैयार किया है.

ग्रामीण परिवेश में पशुपालन आम सी बात है, लेकिन अब ये पशुपालन बडे व्यवसाय के रूप में उभरकर सामने आया है. मगर, कभी-कभी पशुपालकों के सामने चारे की भीषण समस्या पैदा हो जाती है. इस बार भी ऐसे देखने को मिल रहा है कि देश के कई क्षेत्रों में सूखे की स्थिति होने की वजह से खरीफ और रबी दोनों सीजन में हरे चारे की समस्या गंभीर हो गई है. खराब गुणवत्ता वाले चारे के कारण बहुत से पशुओं के शरीर में कैल्शियम का स्तर कम होने लगा है. ऐसे में ये मोरिंगा पशुओं में चारे की कमी को दूर करेगा और भरपूर कैल्शियम की पूर्ति भी करेगा.गर्मी में इस मोरंगा की फसल को जरूर करें, इसमें कैल्शियम की मात्रा बहुत होती है. इससे पशुओं में दूध भी बढ़ेगा.

ऐसे करें मोरिंग की खेतीः फसल उगाना किसानों के लिए बहुत मुश्किल काम नहीं होता. इसलिए मोरिंगा की खेती करना भी बहुत ज्यादा कोई रॉकेट साइंस नहीं. कृषि विशेषज्ञ मनोज जैन बताते हैं कि मोरिंगा यानी सहजन के पौधे की रोपाई गड्ढा बनाकर की जाती है. पहले किसान खेता को खरपतवार से अच्छी तरह से साफ कर लें. इसके बाद 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेंटीमीटर आकार के गड्ढे बना लें. गड्डे के गड्ढे के ऊपरी मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ा हुआ गोबर का खाद मिलाकर गड्ढे को कर दें. इसके बाद इसमें बीच को लगा दें. इन बीच को पॉलीथिन बैग में भी लगाकार पौध तैयार की जा सकती है.

पॉलीथिन बैग में मोरिंगा का पौधा एक महीने में लगने योग्य तैयार हो जाता है. एक महीने में तैयार हुए पौधे को पहले से तैयार किए गए गड्ढे में रोप दें. बता दें कि मोरिंग की खेती की रोपाई जून से लेकर सितंबर के महीने तक की जा सकती है. मोरिंगा के लिए एक हेक्टेयर में 500 से 700 ग्राम बीच की जरूरत होती है.

ये किसी भी मिट्टी में तैयार की जा सकती हैः हर फसल हर तरह की मिट्टी में नहीं हो सकती, लेकिन मोरिंगा यानी सहजन की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. चाहे बंजर भूमि हो या फिर बेकार जमीन. कम उर्वरा भूमि हो या फिर सूखी बलुई या चिकनी बलुई मिट्टी. ये पौध सभी प्रकार की जमीन में लगाई जा सकती है. इसे ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती. ये गर्म मौसम में भी खूब फलती-फूलती है. हालांकि ज्यादा सर्दी ने झेल पाने के कारण इस खेती को सर्द इलाकों में बहुत ही कम किया जाता है.

मोरिंगा के फूल खिलने के लिए 25-30 डिग्री तापमाल की जरूरत होती है. मोरिंगा के अच्छे उत्पादन के लिए समय-समय पर पानी देना लाभकारी होता है. अगर गड्ढे में बीच की बुवाई की गई है तो बीच के अंकुरण होने और स्थापना तक उस गड्ढे में नमी बने रहना जरूरी है. बता दें कि फूल लगने के समय खेत ज्यादा सूखा या ज्यादा गीला रहने की दोनों ही स्थितियों पर फूल झड़ने की समस्या होती है. यही वजह है कि हल्की सिंचाई के लिए ड्रिप या फव्वारा सिंचाई करना बेहद अच्छा होता है.

बारहमासी खेती, 12 मीटर तक बढ़ जाती है लंबा: सहजन की खेती को एक बार लगाने पर ये बारहमासी फल देती है. ये बहुत तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है. सूखा प्रतिरोधी खेती भी है. जब परिपक्व हो जाता है तो इसकी ऊंचाई 12 मीटर तक जा सकती है. अगर आप अपने घर पर पौधरोपण नहीं करना चाहते तो इसका पौधा आपको आपके आसपास की नर्सरी में बड़े ही आसानी से मिल जाएगा. बता दें कि सरकार इसे उगाने के लिए जोर भी दे रही है. ये पौधा पोषक तत्वों से भरपूर होता है. सरकार किसानों से अपील कर रही है कि इस फसल को उगाकर कम लागत में ज्यादा लाभ कमा सकते हैं. इसकी खेती एक खासियत ये भी है कि इसे एक बार लगाओ तो चार साल तक फल देती है. मनोज जैन बताते हैं कि ऐसा नहीं हैं कि ये खेती सिर्फ भारत में ही होती है. ये खेती दुनिया के बहुत से देशों में की जाती है. उन्होंने बताया कि अच्छी खेती के लिएअच्छे बीच का होना बेहद जरूरी है.इसलिए खेती करने से पहले अच्छे और आधुनिक बीच की जानकारी लें, जिससे इसकी पैदावार भी अच्छी हो.

ऐसे तैयार कर सकते हैं पशुओं के लिए मोरिंगा का चाराः सीआईआरजी के वैज्ञानिक डॉक्टर मोहम्मद आरिफ ने बताया कि मोरिंगा को बरसात के सीजन में लगाया जाए तो ज्यादा बेहतर है. बारिश में ये बड़े ही आसानी से लग जाता है. अभी गर्मी का मौसम है. अब से लेकर जुलाई तक मोरिंगा लगाना शुरू कर दिया जाए तो लाभकारी होगा. ख्याल यह रखना है कि इसे पेड़ नहीं बनने देना है. इसके लिए यह जरूरी है कि 30 से 45 सेंटी मीटर की दूरी पर इसकी बुवाई की जाए. इसकी पहली कटाई तीन महीने बाद करनी है. तीन महीने में यह आठ से नौ फीट की हाईट पर आ जाता है. इसी तरह से पहली कटाई 90 दिन में करने के बाद इसकी कटाई हर 60 दिन बाद करनी है.

इसकी कटाई जमीन से एक-डेढ़ फीस की हाइट से करनी है. मोरिंगा की पत्तियों के साथ ही तने को भी बकरियां बड़े चाव से खाती हैं. चाहें तो पशुपालक पहले बकरियों को पत्तियां खिला सकते हैं. इसके तने को अलग रखकर उसके पैलेट्स बना सकते हैं. पैलेट्स बनाने का एक अलग तरीका है. ऐसा करके आप बकरे और बकरियों के लिए पूरे साल के चारे का इंतजाम कर सकते हैं.

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