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Heat Wave: गर्मी में अपने पशुओं को कैसे रखें सेहतमंद, हीटवेब में दूध का उत्पादन भी नहीं होगा कम, जानिए यहां

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. इस वक्त गर्मी पड़ने लगी है. गर्म हवाएं भी चलना शुरू हो गईं हैं. कुछ ही दिनों में गर्म हवाएं यानि लू चलने लग जाएगी, तो पशुओं के लिए ये दिन और ज्यादा मुश्किल वाले हो जाते हैं. दरअसल, हीट वेव वायुमंडलीय तापमान की एक स्थिति है जो शारीरिक तनाव का कारण बनती है, जो कभी-कभी होता है. वहीं ग्रिड बिंदु पर तापमान सामान्य तापमान से 3o C या अधिक हो सकता है. लगातार 3 दिन या उससे अधिक समय तक. किसी भी स्थान का तापमान यदि 45o C से अधिक बना रहता है. लगातार दो दिन या उससे अधिक दिनों तक, इसे हीट वेव की स्थिति कहा जाता है.

मूल्यांकन के लिए रिसर्चर्स और रिसर्च अनुसंधान संस्थानों द्वारा विभिन्न गणितीय सूत्र विकसित किए गए हैं. पशुधन में गर्मी के तनाव की गंभीरता. ये सूत्र आम तौर पर 100-बिंदु पैमाने पर एक अंक प्रदान करते हैं. जिसकी तुलना मानक तापमान आर्द्रता सूचकांक (टीएचआई) चार्ट का उपयोग करके की जाती है। टीएचआई चार्ट मदद करता है. समय के साथ पशुधन पर मौजूदा जलवायु परिस्थितियों द्वारा लगाए गए तनाव का मूल्यांकन करें. एक सामान्यतः
खेत के जानवरों में गर्मी के तनाव को मापने के लिए प्रयुक्त सूत्र मानक THI सूत्र है.

रोकथाम और अनुकूलनः पशुओं में गर्मी से संबंधित बीमारियों को रोकना सर्वोपरि है और काफी हद तक संभव है. हस्तक्षेप में उचित रोकथाम रणनीतियों को लागू करना और व्यापक जानकारी रखना शामिल है. प्रभावी निवारक उपायों, प्राथमिक चिकित्सा और पशु चिकित्सा सहायता की समझ ठंडे से गर्म जलवायु की ओर संक्रमण करने वाले जानवरों को इस दौरान बाहर निकलने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि उन्हें प्रचुर मात्रा में पानी उपलब्ध हो. अनुकूलन हो सकता है.

इन जानवरों को ज्यादा लगती है गर्मीः गर्मी के दिनों में तो वैसे हर तरह के पशुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है. हालांकि उच्च चयापचय दर वाले पशु (उदाहरण के लिए, अधिक दूध देने वाले) और कम स्वेटर वाले (सुअर, कुत्ते) अधिक संवेदनशील हैं. इसके अलावा युवा जानवर, गहरे रंग के जानवर श्वसन, गुर्दे और यकृत रोगों के इतिहास वाले बीमार जानवर, नई कटी हुई भेड़, गर्भवती एवं दूध पिलाने वाले पशु और भारी जानवर. एक्सपर्ट कहते हैं कि इन जानवरों को गर्मियों से ज्यादा बचाना चाहिए.

भैंस कम कर देती है दूध उत्पादनः डेयरी पशुओं की बात की जाए तो भैंस की चमड़ी काली होती है और इस वजह से उसे गर्मी का अहसास ज्यादा होता है. गर्मी में भैंस दूध उत्पादन कम कर देती है. इसके चलते पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ जाता है. इसलिए जरूरी है कि भैंस की केयर की जाए. भैंस को अच्छे आहार दिए जाएं. भैंस के बाड़े में हो सके तो कूलर आदि की भी व्यवस्था की जाए. दिन में दो बार नहलाना भी चाहिए. इससे गर्मी का असर कम होता है.

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