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Animal News: पशुओं में लंपी स्किन डिसीज का है खतरा, सरकार ने जारी किया हेल्प लाइन नंबर

दो महीने का टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है, जिससे रोग के प्रसार को समय रहते रोका जा सके.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. डेयरी पशुओं को अगर बीमारी लग जाए तो ये बेहद ही खतरनाक होता है. क्योंकि इससे बहुत तेजी के साथ उत्पादन में गिरावट आती है. नतीजे में पशुपालकों को भारी नुकसान होने लग जाता है. इसलिए नुकसान से बचाव के लिए पशुओं को बीमारी से बचाना बेहद ही अहम काम है. इस वक्त पशुओं को लंपी स्किन डिसीज होने का खतरा है. जिसको देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने ​पशुपालकों के हित में एक अहम कदम उठाया है. सरकार की ओर पशुओं में लंपी स्किन डिसीज से निपटने के लिये राज्य पशु रोग जांच प्रयोगशाला भोपाल में कंट्रोल रूप की स्थापना की गई है.

सरकार की ओर से बनाए गए कंट्रोल रूम का फोन नंबर भी जारी किया गया. जिसपर कॉल लगाकर पशुपालक भाई लंपी डिसीज से संबंधित कोई सवाल पूछ सकते हैं. बात की जाए फोन नंबर की तो ये 0755-2767583 है. इतना ही नहीं सरकार की ओर से लंपी डिसीज के बारे में अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट भी की गई है, जिसमें इस बीमारी के बारे में बताया भी गया है. बता दें कि लम्पी स्किन डिसीज पशुओं की एक वायरल बीमारी है, जो कि पॉक्स वायरस द्वारा पशुओं में फैलती है. यह रोग मच्छर, काटने वाली मक्खी एवं टिक्स आदि से एक पशु से दूसरे पशुओं में फैलती है.

बीमारी के लक्षण के बारे में पढ़ें
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये बीमारी एक दूसरे पशुओं में भी फैलती है, इसलिए बेहद ही जरूरी है कि एहतियात बरती जाए. इस बीमारी के लक्षण की बात की जाए तो लंपी रोग से पशुओं को शुरुआत में बुखार आता है. अगर बुखार आ रहा है तो समझ जाएं कि लंपी बीमारी का भी खतरा हो सकता है. वहीं इस बीमारी से ग्रसित पशु चारा खाना बंद कर देते हैं. वहीं इसके बाद पशुओं की चमड़ी पर गांठें दिखाई देने लगती हैं. इतना ही नहीं पशु थका हुआ और सुस्त दिखाई देता है. नाक से पानी बहना एवं लंगड़ा कर चलता है.

कैसे करें उपचार
सरकार की ओर से इस बीमारी को लेकर सुझाव भी दिया गया है. इसमें बताया गया है कि लंपी ​बीमारी का लक्षण दिखने पर तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय या पशु औषधालय से संपर्क करें. क्योंकि इलाज होने पर पशु सामान्यतः 10 से 12 दिन में स्वस्थ हो जाता है. इस बीमारी का कोई उचित उपचार नहीं है. डॉक्टर के परामर्श से लक्ष्यात्मक उपचार किया जा सकता है. बुखार की स्थिति में दवाई दी जा सकती है. सूजन एवं चर्म रोग की स्थिति में पशु चिकित्सा की सलाह से दवाइयां तथा द्वितीय जीवाणु संक्रमण को रोकने के लिए 3 से 5 दिन तक एंटीबायोटिक दवाएं दी जानी चाहिए. जख्मों को मक्खियों से बचने के लिए नीम की पत्ती, मेहंदी पत्ती, लहसुन, हल्दी पाउडर को नारियल या शीशे में तेल में लेह बनाकर घाव पर लेप लगाए.

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