नई दिल्ली. ठंड का महीना शुरू हो चुका है. इसलिए पशुओं को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत है. अगर पशुओं की ठीक तरह से देखभाल न की जाए तो इसके कई नुकसान हो सकते हैं. दोनों बेहद ही गंभीर नुकसान हैं. पहला नुकसान तो यह है कि पशु दूध उत्पादन कम कर देते हैं. जिससे डेयरी व्यवसाय में घाटा होने लगता है. वहीं दूसरा और सबसे बड़ा नुकसान यह है कि पशुओं को कई बीमारियां लग जाती है. इन बीमारियों की वजह से पशुओं की मौत भी हो सकती है. इस वजह से ठंड में पशुओं में ख्याल रखना जरूरी होता है.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो ठंड के मौसम में पशुओं को 4 से 5 तरह की बीमारियां लगने का अंदेशा रहता है. आमतौर में जुकाम, निमोनिया, दस्त और अफरा इसमें प्रमुख हैं. इसके अलावा खुरपका, मुंहपका रोग भी पशुओं को हो जाता है. ये बीमारी भी इसी मौसम में होने की संभावना रहती है. जबकि ज्यादा ठंड पड़ने की वजह से पशुओं को हाइपोथर्मिया शरीर का तापमान कम होने की समस्या भी हो जाती है.
ठंड लगने पर दी जाती है ये दवा
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशुओं को ठंड के समय में समय-समय पर डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए. सर्दियों के ठंडे तापमान से बचाव के लिए जानवरों को हवा और बारिश के बचाव से बचने के लिए सुरक्षित और साफ सूखा शेड मुहैया कराना चाहिए. शेड में पुआल का उपयोग करना बेहतर होता है. ताकि जानवरों को गर्म और आरामदायक माहौल महसूस हो. सर्दियों में जानवरों के आहार में उच्च गुणवत्ता वाला चारा दाना शामिल करने से भी उन्हें फायदा होता है. अगर पशुओं को ठंड लग जाए तो पैरासिटामोल, एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन जैसी दवाएं दी जाती हैं. इससे पशुओं को ठंड से राहत मिलती है. हालांकि किसी भी तरह की दवा देने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है
पशुओं को देना चाहिए भरपेट भूसा
पशुपालक इस बात जरूर ध्यान दें कि सर्दियों में पशुओं भरपेट भूसा खाने के लिए देना चाहिए. इसके अलावा हरे चारे में बरसीम और जई असरदार खुराक मानी जाती है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं को सिर्फ हरा चारा खिलाने से बचना चाहिए. सर्दी में गाय को गेहूं की भूसी या पुआल भी देना चाहिए. हरे चारे में 90 फीसदी तक पानी मौजूद होता है. जिससे पशुओं के शरीर का तापमान कम हो जाता है. गाय की तुलना में भैंस में सर्दी की बीमार लगने का खतरा ज्यादा रहता है. पशुओं को गर्म रखने के लिए सरसों की खली भी दी जाती है. उनके शरीर में इससे गर्मी बनी रहती है.
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