नई दिल्ली. अक्सर पशुपालकों के मन में यह सवाल होता है कि जब पशु बच्चा दे देता है तो उसके बाद उन्हें ऐसा क्या खिलाया जाए, जिससे दूध उत्पादन ज्यादा हो जाए. कई बार पशुपालक ये सवाल भी पूछते हैं कि पशुओं को गुड़ खिलाया जाए या देसी गुड़. एक्सपर्ट कहते हैं कि गुड़ खिलाना पशुओं के लिए सबसे बेहतरीन इस देसी आहार में से एक है. इसको खिलाने से पशुओं का दूध उत्पादन तेजी के साथ बढ़ता है. हालांकि इसमें इस बात का ध्यान जरूर देना चाहिए कि गुड़ केमिकल से बना न हो. देसी गुड़ खिलाने का फायदा ज्यादा होता है.
वहीं पशुओं से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए पशुओं को देसी कोरी खांड दिया जाता है. इसे गन्ने के रस से बनाया जाता है. जिस तरह से चीनी बनती है, ठीक उसी तरह इसे भी बनाया जाता है. हालांकि इसमें एक फर्क है. जब चीनी को ज्यादा रिफाइन किया जाता है तो उसके अंदर मौजूद फाइबर और पोषण खत्म हो जाते हैं. जबकि खांड गन्ने के रस का कम रिफाइंड रूप होता है. इसकी वजह से इसके अंदर पोषण और फाइबर की मात्रा बनी रहती है. खास बात यह कि देसी खांड में कोई भी केमिकल इस्तेमाल नहीं किया जाता जो इसे चीनी से बेहतर बनाता है.
देसी कोरी खांड के हैं कई फायदे
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि देसी कोरी खांड को अगर पशुओं को दिया जाए तो इससे दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. इसे देने का तरीका कुछ इस तरह से है कि सुबह-शाम ढाई सौ ग्राम खांड पशुओं को दिया जाता है. इसे पानी के साथ मिलकर दिया जाता है. लगातार 10 दिनों तक इस आहार को देने से पशुओं को बेहद ही फायदा होता है और उनका दूध उत्पादन बढ़ जाता है. एक्सपर्ट का दावा है कि ज्यादा फायदे के लिए और दूध उत्पादन के लिए 10 दिनों तक रोज 250 ग्राम गुलकंद भी पशुओं को खिलाया जा सकता है.
हीमोग्लोबीन के स्तर को भी बढ़ाता है
बता दें कि देसी कोरी खांड में ऊर्जा का स्रोत होता है. ये पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होता है. पशुओं की हड्डियों को यह मजबूत करता है. इम्युनिटी भी बढ़ाता है. एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक देसी कोरी खांड को पशुओं को गर्मियों में खिलाया जाए तो इससे उन्हें ठंडक मिलती है. वहीं गर्मियों के दिन में जब दूध उत्पादन कम हो जाता है तो इससे दूध उत्पादन बढ़ जाता है. गर्मियों से जुड़ी समस्याओं से बचाव भी होता है. खून में हीमोग्लोबिन का स्तर नियंत्रित करने में यह काफी मददगार है. शरीर का तापमान भी निर्धारित करता है. इससे पशुओं की भूख बढ़ती है और यह फीड पशु को प्रसव के बाद जल्दी ठीक होने में भी मददगार है.
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