नई दिल्ली. इस मौसम में पशुओं में डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है. बढ़ती गर्मी इंसानों के साथ-साथ पशुओं को भी परेशान करती है. देखा गया है कि दुधारू पशुओं के दूध में 15 से 20 तक की गिरावट आ जाती है. दुधारू पशु जब दूध देना कम कर देते हैं तो दूध उत्पादन पर इसका सीधा असर पड़ता है. गर्मी में इसका काफी प्रभाव पड़ता है. पशुओं में तेज बुखार हो जाता है. पशु चार खाना छोड़ देते हैं. पशुओं को चिकित्सक की जरूरत पड़ जाती है. आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे इस मौसम में पशुओं को बीमार होने से बचा सकते हैं.
पशुपालन में कई ऐसी बातें हैं, जिनका ध्यान रखना पशुपालकों के लिए जरूरी होता है. खासतौर पर गर्मी में पशु दूध उत्पादन कम न करे, इसके लिए बहुत ही जरूरी है कि पशुओं का और ज्यादा ख्याल किया जाए. गर्मी में पशुओं में एक कॉमन प्रॉब्लम डिहाइड्रेशन की होती है. इस मौसम में भीषण गर्मी से पशुओं के शरीर में पानी की कमी हो जाती है. कुछ सावधानियां बरतनी की जरूरत है. जिससे दुधारू पशुओं का दूध भी कम नहीं होगा और इस तपते मौसम में भी पशु सामान्य रहेंगे.
दिखते हैं ये लक्षण: इस मौसम में जब पशु डिहाइड्रेट होते हैं तो उनकी खाल में झुर्रियां दिखाई देती हैं. नाक सूख जाती है. पशु चक्कर खाकर गिर भी सकता है. कुछ इंतजाम करने चाहिए जो पशुओं को स्वस्थ्य रखें.
करें ये काम: दुधारू पशुओं को सुबह धूप निकलने से पहले नहलाना जरूरी है. वहीं देर रात को भी पशुओं को नहलाएं. अपने पशुओं को दिन में तीन से चार बार साफ पानी पिलाना जरूरी है. पशुओं के बाड़े में कूलर का प्रबंध भी किया जा सकता है. अगर दुधारू पशु को आप खेतों में बांधते हैं, तो खेत में रहने वाले पशुओं को पेड़ के नीचे बांधें और सुबह उठते ही उस जगह ठंडे पानी का छिड़काव कर दें.
चारा देने में रखें ये ध्यान: गर्मी के इस मौसम में चारा देने पर थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है. पशुओं को हरा चारा देते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बड़ी हुई ज्वार या बाजार को ना दें. अगर हरे चारे पर स्प्रे किया गया है तो वह चार इस समय पशुओं को ना खिलाएं. पशु को हर रोज 50-50 ग्राम खनिज मिश्रण जरूर खिलाएं. गर्मी में बुखार के लिए सबसे उपयुक्त उपाय है कि उन्हें सुबह एक घंटा सूर्योदय से पहले सूर्यास्त के बाद जोहड़ में रखना है. जिससे तीन-चार दिन में बुखार खत्म हो जाएगा.
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