नई दिल्ली. सरकार पशुपालन और इसके जरिए दूध उत्पादन को बढ़ावा देने का काम कर रही है. सरकार का मानना है कि किसानों की इनकम डबल करने के लिए पशुपालन बेहद ही आसान और सही तरीका है. इससे किसानों की इनकम दोगुनी हो जाएगी. इसलिए सरकार कई योजना चलाती है ताकि पशुपालन करने में किसानों को दिक्कत न हो. मसलन, किसी किसान के पास इतनी पूंजी नहीं है कि वो पशुपालन का काम भी शुरू कर सके तो ऐसे लोगों को सब्सिडी और लोन सरकार की तरफ से मुहैया कराया जाता है.
कुल मिलाकर कहा जाए तो सरकार हर तरह से कोशिश कर रही है कि लोग पशुपालन में आए आएं. ताकि उनकी इनकम को दोगुना किया जा सके. इसी चीज को पूरा करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की ओर से भी डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना की शुरुआत की गई है.
सब्सिडी के लिए यहां कर सकते हैं आवेदन
मध्यप्रदेश सरकार ने पशुधन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण और अभिनव योजनाएं शुरू की हैं, जो सीधे पशुपालकों को लाभ पहुंचा रही हैं. डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना भी उन्हीं में से एक है. यह एक प्रमुख योजना है, जिसे दूध उत्पादन बढ़ाने, पशुधन प्रबंधन और पशुपालकों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है. इसके तहत, पशुपालकों को 25 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई स्थापित करने के लिए मदद दी जाती है. योजना के तहत अधिकतम 42 पशुओं को दिया जाता है. अनूसूचित जाति/जनजाति के हितग्राहियों को परियोजना लागत पर 33 फीसदी तक और अन्य वर्गों को 25 परसेंट तक की सब्सिडी दी जाती है. योजना का फायदा लेने के लिए पशुपालकों को डेयरी फार्मिंग कर प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है, जिससे वे वैज्ञानिक तरीके से पशुपालन कर सकें. आवेदन ऑनलाइन पोर्टल www.mpost.gov.in) के माध्यम से किए जा सकते हैं.
10 लाख तक का मिलता है लोन
मध्य प्रदेश सरकार नई नीति के तहत गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने और गो-पालन को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. अब गौशालाओं को प्रति गौवंश प्रति दिवस 20 रुपए से बढ़कर 40 रुपए का अनुदान दिया जाएगा, यह निर्णय गौशालाओं की वित्तीय स्थिति को मजबूत करेगा और उन्हें पशुओं की बेहतर देखभाल करने में सक्षम बनाएगा. इस योजना में पशुपालकों को डेयरी इकाई स्थापित करने और उन्नत नस्ल के पशु खरीदने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है. 10 लाख तक के लोन पर 7 वर्ष तक 5 फीसदी का ब्याज अनुदान (अधिकतम 25 हजार रुपए प्रतिवर्ष) दिया जाता है. यह योजना पशुपालकों को आधुनिक डेयरी फार्मिंग अपनाने और उच्च गुणवता बाले पशुधन में निवेश कहने के लिए प्रोत्साहित करती है.
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