नई दिल्ली. सरकार इस बात को समझ चुकी है कि अगर किसानों की आय को दोगुना करना है तो उन्हें पशुपालन में आगे लेकर आना होगा. यही वजह है कि सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई काम कर रही है. उन्हीं कामों में से एक यह है कि पशुपलकों को पशुपालन करने के प्रति जागरूक किया जा रहा है. वहीं इस काम को करने के लिए उन्हें लोन मुहैया कराया जा रहा है. साथ ही लोन पर सब्सिडी आदि भी दी जा रही है. ताकि पैसों की कमी होने पर पशुपालकों को पशुपालन करने में दिक्कत ना आए और वह पशुपालन कर सकें. इससे न सिर्फ पशुपालकों की आय में इजाफा होगा, बल्कि दूध उत्पादन भी बढ़ेगा. किस देश की तरक्की में भी सहयोग कर सकेंगे.
पशुपालकों की आय बढ़ाने के मकसद के तहत मध्य प्रदेश सरकार भी कई कोशिश से कर रही है. खास तौर पर दूध उत्पादन करने वाले किसानों की आय को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से एम.पी. स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड एवं संबद्ध दुग्ध संघों और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के मध्य होगा सहकार्यता अनुबंध (कोलैबोरेशन एग्रीमेंट) 5 साल का अनुबंध किया गया है. ताकि किसानों की इनकम में इजाफा किया जा सके और दूध उत्पादन करने वाले किसान दूध उत्पादन करने में और ज्यादा दिलचस्पी ले सकें. इससे राज्य में सरकार के 9 फीसदी से 20 फीसदी तक दूध बढ़ाने के लक्ष्य को भी आसानी के साथ पूरा किया जा सकेगा. आइए जानते हैं, इस अनुबंध से किसानों को क्या फायदा होगा.
18 लाख लीटर प्रतिदिन होगी प्लांट की क्षमता
दुग्ध उत्पादकों की आय बढ़ाने को प्रतिबद्ध मध्यप्रदेश सरकार ने एम.पी. स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड एवं संबद्ध दुग्ध संघों और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के मध्य होगा सहकार्यता अनुबंध (कोलैबोरेशन एग्रीमेंट) 5 वर्ष के लिए होगा अनुबंध किया है. वर्तमान में डेयरी प्लांट की क्षमता 18 लाख लीटर प्रतिदिन है, जिसे बढ़ाकर 30 लाख लीटर प्रतिदिन किया जाएगा. अगले 5 सालों में लगभग 1500 करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा. दूध उत्पादकों की कुल वार्षिक आय 1700 करोड़ रुपये से दोगुना कर 3500 करोड़ रुपये किये जाने का लक्ष्य रखा गया है.
किसानों की शिकायतें की जाएंगी दूर
प्रदेश के सांची ब्रांड को और मजबूत किया जाएगा. ब्रांड के नाम में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा. दूध संघ के प्रबंधन एवं संचालन के लिए प्रबंधन शुल्क और नवीन प्रसंस्करण एवं अधोसंरचनाओं के विकास के लिए भी कोई परामर्श शुल्क नहीं लिया जाएगा. जरूरत के मुताबिक तकनीकी एवं प्रबंधन विशेषज्ञों को अपने पैरोल पर दुग्ध संघ में पदस्थ किया जाएगा तथा कार्यरत अमले का हित संरक्षण भी किया जाएगा. दूध सहकारी समितियां से संबद्ध डेयरी किसानों की शिकायतों के निराकरण के लिए शिकायत निवारण प्रणाली भी विकसित की जाएगी.
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