नई दिल्ली. इन दिनों हैदराबाद एक ऐसे आयोजन का गवाह बन रहा है जो डेयरी पशुओं के जीवन में सुधार पर एक्सपर्ट अपनी राय रख रहे हैं. ये संक्रामक बोवाइन राइनोट्रैसाइटिस (आईबीआर) पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला है. इसमें न केवल भारत से बल्कि भूटान, श्रीलंका और नेपाल जैसे अन्य पड़ोसी देशों से भी सक्रिय प्रतिभागी हैं. इस कार्यक्रम में प्रमुख भारतीय और दक्षिण एशियाई प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिक भी शामिल हुए जो पशु रोगों के निदान के लिए समर्पित हैं.
इस कार्यक्रम में प्रतिष्ठित संस्थानों के कई अधिकारियों ने वहां हिस्सा लिया. इसमें इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन के अध्यक्ष श्री पियरक्रिस्टियानो ब्रेज़ेल, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (आईआईएल) के प्रबंध निदेशक डॉ. आनंद कुमार, एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज के प्रबंध निदेशक डॉ. सीपी देवानंद, एस राजीव, ईडी, एनडीडीबी, और डॉ. आरओ गुप्ता, वरिष्ठ महाप्रबंधक, एनडीडीबी.
क्या है र्काशाला का उद्देश्य
कार्यशाला के बारे में विस्तार से बताते हुए, डॉ. मीनेश शाह ने कहा, “यह कार्यशाला पूरे भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में आईबीआर निदान के दायरे को विस्तारित और एकजुट करने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है. इसके अलावा, यह कार्यशाला WOAH के दिशानिर्देशों के अनुसार निदान प्रणालियों और तकनीकों को अलाइन करने पर केंद्रित है. इससे पहले मार्च को आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम को पवित्र दीप प्रज्ज्वलन और आईबीआर प्रयोगशाला निदान एसओपी पर एक मैनुअल के लॉन्च द्वारा चिह्नित किया गया था.
आईबीआर के प्रबंधन में हुई प्रगति
यह मैनुअल सभी नैदानिक प्रयोगशालाओं के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका के रूप में भी काम करेगा. मीनेश शाह ने आईडीएफ के अध्यक्ष और वहां मौजूद अन्य सदस्यों को आईआईएल के वैक्सीन उत्पादन प्लांट का दौरा और ब्रीफिंग भी दी. इससे पता चला कि आईबीआर प्रबंधन के क्षेत्र में कई प्रगति हुई है और यह कार्यशाला बड़ी प्रगति के लिए एक सरल कदम के रूप में चिह्नित है.
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