Home मछली पालन Fisheries: मछली के साथ करें, मुर्गी, बत्तख और पशुपालन तो कई गुना बढ़ जाएगा मुनाफा, पढ़ें डिटेल
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Fisheries: मछली के साथ करें, मुर्गी, बत्तख और पशुपालन तो कई गुना बढ़ जाएगा मुनाफा, पढ़ें डिटेल

fish farming
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मछली पालन करके किसान अच्छा खासा फायदा उठा रहे हैं. इसी वजह से सरकार ने भी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए काम शुरू कर दिए हैं. मछली पालन वैसे तो तालाब में होता है और बहुत से लोग ये समझते होंगे कि मछली तालाब में खुद ही पल जाती है लेकिन यहां आप गलत हैं. जिस तरह से पशुओं को चारा-पानी की जरूरत होती है, उसी तरह से मछली को भी आहार दिया जाता है उसका भी ख्याल रखा जाता है. एक्सपर्ट कहतें कि ऐसी इसलिए किया जाता है कि मछली ग्रोथ ज्यादा हो. क्योंकि जितनी अच्छी ग्रोथ होती है, फसल तैयार होने के बाद उतना ज्यादा फायदा मिलता है.

अक्सर उनकी ग्रोथ बढ़ाने के लिए मछलियों को पूरक आहार दिया जाता है. अगर मछलियों को सप्लीमेंट दिया जाए तो उनके ग्रोथ तेजी से होती है. आपको बता दें कि अगर आप मछली पालन कर रहे हैं और इसे और ज्यादा फायदेमंद बनाना चाहते हैं तो मछली के साथ मुर्गी पालन और बत्तख पालन भी कर सकते हैं. अगर आप पशुपालक हैं तो इससे भी मछली पालन को फायदा पहुंच सकता है. आइए इसके बारे में जानते हैं.

मछली के साथ मुर्गी पालन
इसमें मुर्गियों के अवशिष्ट को फिर से चक्रण कर खाद के रूप में उपयोग किया जाता है. एक मुर्गी के लिये 0.3-0.4 वर्ग मी. जगह की आवश्यकता होती है. 50-60 पक्षियों से एक टन उर्वरक प्राप्त होता है. 500-600 पक्षियों से प्राप्त खाद एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिये पर्याप्त होती है. इस पालन द्वारा 4.5-5.0 टन मछली, 70000 अंडे और 1250 किग्रा मुर्गी के मांस का उत्पादन होता है. इसमें किसी पूरक आहार और अतिरिक्त उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है.

मछली और बतख पालन
इस तरह मछली और बतख एक साथ पाली जाती है. जिस जल क्षेत्र में बतखों का पालन किया जाता है वह मछलियों के लिये आदर्श जलक्षेत्र होता है, क्योंकि पारिस्थतिकी रोगमुक्त होती है. बतख जल क्षेत्र में उपस्थित घोंघा, टैडपोल एवं पतंगों के लार्वा ग्रहण करती है. इसके अलावा बतखों के अवशिष्ट के सीधा तालाब में गिरने से मछलियों के लिये आवश्यक पोषक पदार्थ की पूर्ति होती है. प्रत्येक बतख से 40-50 किग्रा खाद प्राप्त होता है. जिससे लगभग 3 किलोग्राम मछली उत्पादन होता है. बतख की औसत पालन दर 4 बतख प्रति वर्ग मीटर होती है. जबकि एक बतख औसतन 200 अंडे प्रतिवर्ष देती है.

पशुपालन और मछली पालन
मछली के साथ, गाय, बैल, भैंस तथा बकरी पालन किया जा सकता है. साधारणतः एक गाय, बैल या भैंस से 6 कि.ग्रा. एवं बकरी से 0.5 कि.ग्रा. खाद प्राप्त होती है. अतः एक वर्ष में एक मवेशी से 9000 कि.ग्रा. अवशिष्ट निकलता है. अनुमानतः 6.4 किग्रा गोबर से एक किग्रा मछली उत्पादन होता है. आठ गायों से प्राप्त गोबर एक हेक्टेयर जल क्षेत्र के लिये पर्याप्त होता है और इससे बिना पूरक आहार के 3-5 टन मछली का उपज ली जा सकती है. साथ ही दूध भी प्राप्त होता है.

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