नई दिल्ली. जुगाली करने वाले मवेशियों में बकरियों के बाद सबसे ज्यादा भेड़ पालन देश में किया जाता है. जहां बकरियों का पालन मुख्य तौर पर मीट और दूध के लिए होता है तो वहीं भेड़ का पालन तीन चीजों के लिए किया जाता है. भेड़ पालक भेड़ से दूध और मीट के अलावा ऊन भी हासिल करते हैं और इससे अच्छी खासी उन्हें कमाई भी होती है. एक आंकड़े के मुताबिक देश में पिछले कुछ समय से भेड़ के मीट की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है. इसके मीट को लोग खूब पसंद कर रहे हैं.
भेड़ की बात की जाए तो सर्वाधिक भेड़ बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, जैसे जिलो में पाई जाती है. यह सभी जिले राजस्थान राज्य के हैं. भेड़ों के ऊन से कालीन और चटाई बनाई जाती है. पशुपालन और डेयरी विभाग के फीगर के मुताबिक 14.6 मिलियन से ज्यादा भेड़ राजस्थान में पाली जा रही है. वहीं यहां भेड़ पालन की एक और खास बात ये है कि जब गर्मियों में चारे की कमी होती है चरवाहे भेड़ों को लेकर दूसरे राज्यों की ओर चल पड़ते हैं. राजस्थान में भेड़ पालन को समझना चाहते हैं तो आइए कुछ प्वाइंट्स में आपको नीचे समझाते हैं.
राजस्थान में भेंड़ पालन
एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी बीकानेर में है. जहां 250-300 ऊन धागे की फैक्ट्रियां हैं. जहां हजारों की तादाद में लोग काम करते हैं और रोजगार हासिल कर रहे हैं.
राजस्थान ऊन उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है. यहां भेड़ पालन के ऊन हासिल करके भेड़ पालक अच्छी खासी कमाई करते हैं.
राजस्थान में सर्वाधिक ऊन उत्पादन जोधपुर, बीकानेर, नागौर में व न्यूनतम ऊन उत्पादन झालावाड़ में होता है.
केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड जोधपुर में स्थित है. केन्द्रीय ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला बीकानेर में स्थित है.
राजस्थान की भेड़ों से अन्य राज्यों के मुकाबले तीन गुना अधिक ऊन का उत्पादन होता है.
यहां भेड़ों की चोकला, मगरा और नाली नस्लों की ऊन विश्व के बेजोड़ गलीचे और नमदा बनाने के लिए श्रेष्ठ है.
मालपुरा, जैसलमेरी और मारवाडी नस्लों की ऊन दरियां बनाने में उत्तम हैं.
मालपुरा, जैसलमेरी, मारवाड़ी, नाली नस्लें मांस के लिए उपयुक्त है.
भेड़ों की मिंगणी की खाद उत्तम मानी जाती है.
इन राज्यों में भी पाली जाती है भेड़
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऊन उत्पादक और भेड़ पालन करने वाले राज्यों में राजस्थान, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा प्रमुख राज्य हैं. यहां पर बड़ी संख्या में भेड़ पालन किया जाता है और यहां के लघु और गरीब किसानों जिनके पास जमीन ज्यादा नहीं है वो भेड़ पालन करके अपनी आजीविका चलाते हैं.
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