Home मछली पालन Fisheries: नदी-समंंदर से बाजार तक अब मिनटों में उड़ते हुए पहुंचेगी मछली
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Fisheries: नदी-समंंदर से बाजार तक अब मिनटों में उड़ते हुए पहुंचेगी मछली

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मछलियों को ले जाने वाले ड्रोन का हुआ प्रेजेंटेशन.

नई दिल्ली. भारत में होने वाले मछली पालन में पानी के रिसोर्स की निगरानी और मैनेजमेंट में कई चुनौतियां हैं, जो इस सेक्टर की ग्रोथ में रुकावट है. एक्सपर्ट का कहना है कि आधुनिक तकनीकों के जरिए जिस तरह से खेती प्रणाली में हर दिन सुधार हो रहा है, उसी तरह से फिशरीज सेक्टर में भी किया जा सकता है. मछली पालन में मछली पकड़ने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों से लंबी दूरी तक परिवहन के लिए लगने वाले लंबे समय और हैंडलिंग और संरक्षण की कमी से मछलियां मर जाती हैं. इसके चलते मछली पालकों को भारी नुकसान होता है.

हाल के दिनों में, ड्रोन जैसी नई टेक्नोलॉजी में दूरदराज के स्थानों पर महत्वपूर्ण सामान पहुंचाने, पहुंच की मुश्किलों को दूर करने और तेज़ डिलीवरी को सक्षम करने की जबरदस्त क्षमता का प्रदर्शन किया है. यही वजह है कि मछली पालन क्षेत्र में ड्रोन तकनीक की क्षमता का पता लगाने के लिए, मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार ने ICAR-CIFRI को जिंदा मछली परिवहन के लिए ड्रोन तकनीक विकसित करने पर एक पायलट परियोजना सौंपी है.

ताकि 100 किमी तक जा सके मछली
इसपर काम केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CIFRI), कोलकाता करेगी. जिसका लक्ष्य 100 किलोग्राम पेलोड वाले ड्रोन को डिजाइन और विकसित करना है जो 10 किमी तक जीवित मछली ले जा सके. मत्स्य पालन विभाग के केंद्रीय सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने मछली मैनेजमेंट के लिए ड्रोन इस्तेमाल में संस्थान के रिसर्च और विकास की समीक्षा के लिए 24 सितंबर को को ICAR-CIFRI, कोलकाता का दौरा किया. जहां संस्थान के निदेशक डॉ. बी के दास ने ड्रोन आधारित टेक्नोलॉजी में संस्थान की उपलब्धियों और प्रगति को विस्तार से पेश किया. मछली पालन में ड्रोन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर एक स्टार्ट-अप द्वारा प्रेजेंटेशन भी दिया गया.

मछली पहुंचाने में लगेगा कम वक्त
प्रेजेंटेशन के दौरान राज्यों, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, NAFED, NCDC, NERMARC, SFAC, खुदरा विक्रेताओं, स्टार्ट-अप्स, मत्स्य पालन अधीनस्थ कार्यालयों, राज्य सरकार के अधिकारियों, FFPOs, सहकारी समितियों आदि से मत्स्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को वर्चुअल कॉन्फ्रेंस (VC) के माध्यम से शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था. विभिन्न ड्रोन-आधारित तकनीकों जैसे स्प्रेयर ड्रोन, फीड ब्रॉडकास्ट ड्रोन और कार्गो डिलीवरी ड्रोन का प्रदर्शन ICAR-CIFRI और स्टार्ट-अप कंपनियों द्वारा 100 से अधिक मछुआरों और मछुआरिनों के बीच किया गया. CIFRI ने शुरू की गई पायलट परियोजना, मछलियों पर कम से कम तनाव डालते हुए कम समय में ताजी मछली के परिवहन की उम्मीद जताई.

मछुआरों से की बातचीत
ड्रोन प्रदर्शन के दौरान, मत्स्य पालन विभाग के केंद्रीय सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने मछली पालकों और मछुआरों के साथ बातचीत की. उनके अनुभवों, सफलता की कहानियों और उनके रोजमर्रा के कार्यों में आने वाली चुनौतियों को सुना. इस बातचीत से उन्हें इस बारे में बहुमूल्य जानकारी मिली कि कैसे ड्रोन जैसी नई तकनीक उनकी ज़रूरतों को पूरा कर सकती है और मत्स्य पालन क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ा सकती है.

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