Home पशुपालन देश में हर साल जानवरों की वजह से होती है 55 हजार लोगों की मौत, पढ़ें डिटेल
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देश में हर साल जानवरों की वजह से होती है 55 हजार लोगों की मौत, पढ़ें डिटेल

Rabies Injection, Indian Veterinary Research Institute, IVRI
आईवीआरआई में भ्रमण के दौरान चर्चा करते यूएसए के निदेशक डॉ. जॉर्ज ई. ओसोरियो

नई दिल्ली. विश्व स्तर पर, रेबीज एक विनाशकारी बीमारी है और 60,000 से अधिक मानव मृत्यु के लिए जिम्मेदार है, जबकि लगभग 15 मिलियन लोगों को सालाना रेबीज पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) प्राप्त होता है. रेबीज के कारण 95 प्रतिशत से अधिक मौतें भारतीय उपमहाद्वीप में दर्ज की गईं. भारत में हर साल लगभग 55, 000 इंसानों की मौत पागल कुत्तों और जंगली जानवरों के काटने से होती है.संस्थान के वैज्ञानिक डॉक्टर एम. स्वामी नाथन आईसीएमआर की फैलौशिप के तहत एक वर्ष के लिए ओरल रेबीज वैक्सीन पर कार्य करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मेडिसन, मेडिसन, यूएसए में डॉक्टर जॉर्ज ई. ओसोरियो की प्रयोगशाला में जा रहे हैं.

इस बीमारी पर नित्रयंण के लिए ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट, स्कूल ऑफ वेटरनरी मेडिसिन, यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मेडिसन, मेडिसन, यूएसए के निदेशक डॉ. जॉर्ज ई. ओसोरियो ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान (आईवीआरआई) इज्जतनगर में संस्थान का भ्रमण किया तथा संस्थान के निदेशक एवं वैज्ञानिकों के साथ बैठक की. आईवीआरआई के साथ रैबीज की ओरल वैक्सीन तथा अन्य औरल वैक्सीन जैसे अफ्रीकन स्वाइन फीवर, एवियन इन्फ्लुएंजा, नीपावायरस के नियंत्रण पर कार्य करने के इच्छा व्यक्त की.

अमेरिका के साथ सहयोग एवं अनुबन्ध करने पर सहमति जताई
इस मौके पर संस्थान निदेशक डॉक्टर त्रिवेणी दत्त ने आईवीआरआई के गौरवमयी इतिहास और संस्थान के शोध, शैक्षणिक एवं विस्तार गतिविधियों के बारे में जानकारी दी. विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय, अमेरिका के साथ सहयोग एवं अनुबन्ध करने में अपनी सहमति जताई. डॉक्टर दत्त ने कहा कि हमारे संस्थान के वैज्ञानिक डॉक्टर एम. स्वामी नाथन आईसीएमआर की फैलौशिप के तहत एक वर्ष के लिए ओरल रेबीज वैक्सीन पर कार्य करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मेडिसन, मेडिसन, यूएसए में डॉक्टर जॉर्ज ई. ओसोरियो की प्रयोगशाला में जा रहे हैं.

एम्स भी होगी रेबीज ओरल वैक्सीन के भारत में प्रयोग पर चर्चा
संस्थान के संयुक्त निदेशक, कैडराड डॉक्टर केपी सिंह ने बताया कि डॉक्टर जॉर्ज दिल्ली में भारतीय आर्युविज्ञान अनुसांधान परिषद के महानिदेशक, स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव से समग्र स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत रेबीज नियंत्रण के लिए रेबीज ओरल वैक्सीन के भारत में प्रयोग की संभावनाएं एवं शोध के बारे में चर्चा भी करेंगे.

इन वैज्ञानिकों ने रखे विचार
इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त निदेशक कैडराड, डॉक्टर केपी सिंह, संयुक्त निदेशक, शोध डॉक्टर एसके सिंह, संयुक्त निदेशक, प्रसार शिक्षा, डॉक्टर रूपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डॉक्टर एस के मेंदीरत्ता, प्रभारी, पीएमई सेल डॉक्टर जी साईकुमार के साथ ही विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों ने भी अपने विचार रखे.

ये लोग रहे प्रमुख रूप से उपस्थित
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर फिरदौस द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर एम. स्वामी नाथन द्वारा दिया गया. इस मौके पर पर डॉक्टर आरवी एस पव्वैया, रविकान्त अग्रवाल, प्रणव धर, प्रिमाशुं दंण्डपत, पी मदन मोहन, एम. पावडे. एस. दण्डपत, हिमानी धांजे, पी.के गुप्ता, संचय विश्वास, विक्रमादित्य उपमन्यु सहित संस्थान के अन्य परिसरों के संयुक्त निदेशक डॉक्टर पल्लव चौधरी, विमलेदु मंण्डल, अर्नव सेन, गौरखमल, एच.पी. ऐथल आदि उपस्थित रहे.

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