Home पोल्ट्री Poultry: क्या सच में अजोला खिलाने से मुर्गी का वजन और अंडे का उत्पादन बढ़ता है, जानें यहां
पोल्ट्री

Poultry: क्या सच में अजोला खिलाने से मुर्गी का वजन और अंडे का उत्पादन बढ़ता है, जानें यहां

azolla biofertilizer
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मुर्गी पालन कम खर्चे में किया जाने वाला बहुत ही बेहतरीन कारोबार है. मुर्गी पालन करके किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं. मुर्गी पालन से किसान न सिर्फ अंडे बेचकर कमाई कर सकते हैं, बल्कि इसके मीट की भी डिमांड खूब होती है. जिससे किसानों को फायदा हो सकता है. ग्रामीण अंचलों में बहुत से किसान मुर्गी पालन छोटे स्तर पर करते हैं लेकिन अगर सिस्टमैटिक तरह से मुर्गी पालन किया जाए तो यह बहुत ही फायदे का सौदा होता है.

पशुपालन की तरह ही मुर्गी पालन में भी मुर्गियों के खाने-दाने और उनके रखरखाव का ध्यान रखना होता है. क्योंकि मुर्गियों को भी मौसम की मार, बीमारियों से बचाना पड़ता है. यदि ट्रेनिंग लेकर मुर्गी पालन शुरू किया जाए तो इसमें नुकसान का परसेंटेज बिल्कुल कम हो जाता है. जबकि मुर्गी पालन सदाबहार चलने वाला कारोबार भी है. अंडों की मांग भले ही गर्मी में काम हो जाती है लेकिन मीट की मांग पूरी 12 महीने बनी रहती है. अगर मुर्गियों को अच्छी फीड खिलाया जाए तो उनका वजन और अंडो का उत्पादन ज्यादा बढ़ जाता है.

10 से 15 फीसदी बढ़ता है अंडे का उत्पादन
आइये इस खबर में जानते हैं कि क्या अजोला खिलाने से मुर्गी का वजन बढ़ता है? और अंडे का उत्पादन में बढ़ता है कि नहीं? एक्सपर्ट कहते हैं कि मुर्गियों को उनकी फीड के रूप में 10 से 15 ग्राम अजोला हर दिन खिलाया जाए तो उनके शरीर को इसका फायदा मिलता है. मुर्गियों की शरीर का तेजी के साथ भार बढ़ता है और अंडा उत्पादन भी बढ़ जाता है. जिन मुर्गियों को अजोला खिलाया जाता है उनके अंडा उत्पादन में 10 से 15 फ़ीसदी तक की वृद्धि देखी गई है.

अजोला की क्या है क्वालिटी
बताते चलें कि अजोला जल की सतह पर तैरने वाला एक जलीय फर्न है. इसकी पंखुड़ियां में नील हरित शैवाल सहजीवी के रूप में पाया जाता है. क्योंकि इसमें प्रोटीन, अमीनो अम्ल, विटामिन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, फेरस कॉपर तथा मैग्नीशियम आदि पोषक तत्व भरपूर पाया जाता है. इसलिए यह मुर्गियों के लिए भी फायदेमंद है. अजोला की विशेषता है कि यह अनुकूल वातावरण में 5 दिनों में बढ़कर दोगुना हो जाता है. पूरे वर्ष इसका प्रति हेक्टेयर 300 टन से भी अधिक का उत्पादन किया जा सकता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles