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सूरज की तपिश से जल रहे जंगल, जैसलमेर में पशुओं के सामने चारे का संकट, पशपालकों की सरकार से गुहार

Fodder production, forest fire, fodder production in Jaisalmer
राजस्थान के जंगलों में लगी आग का प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. राजस्थान के जैसलमेर के सरहदी जिले में भीषण गर्मी में सूरज का प्रकोप पशुओं के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. तेज गर्मी का सबसे ज्यादा असर नहरी और वन क्षेत्र की वनस्पति पर देखने को मिल रहा है. अप्रैल में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं. आग बुझाने के लिए साधन व संसाधनों के टोटे की बीच अग्निकांड ने एक बार फिर परेशानी खड़ी कर दी है. नहर, वन या चारागाह क्षेत्रों में उगी घास के लिए मामूली चिंगारी भी अग्निकाण्ड में तब्दील हो जाती है. जब चारा खत्म हो जाएगा तो पशुओं के सामने संकट पैदा हो सकता है. बता दें कि विगत वर्षों में अग्निकांडों ने वन क्षेत्र व चारागाहों को लील लिया था. मौजूदा समय में पारा 40 डिग्री को पार कर चुका है. ऐसे में आगामी दिनों में वन क्षेत्र में आग लगने की घटनाओं में इजाफा होने की आशंका है. आग लगने की घटनाओं से पशुओं के सामने चारे का संकट पैदा हो रहा है. अगर समय रहते नहीं चेते तो बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है.

गर्मी में वैसे ही कम रहता है चारा
टीम ओरण जैसलमेर के संस्थापक सुमेर सिंह भाटी का कहना है कि वन और नहरी क्षेत्र में भीषण आग के फैलने के बाद जब दावानल तभी शांत होता है, जब अधिकांश वन संपदा आग की भेंट चढ़ जाती है. गत एक दशक से मरुप्रदेश में विकसित नहरी व वन क्षेत्र में गत वर्षों में दावानल भड़कने की बड़ी घटनाएं भीषण गर्मी में वन क्षेत्रों में मंडाराया दावानल भड़कने का खतरा. इन आग की घटनाओं की वजह से पशुओं का चारा जलकर नष्ट हो जाता है. गर्मी में वैसे ही चारे की कमी रहती है और इनआग की घटनाओं से चारा पूरी तरह से नष्ट हो जाता है.

इन सालों में जल गया इतना चारा
18 मार्च 2013 को अवाय चिन्नू क्षेत्र में नहर किनारे 12 घंटे तक भीषण आग लगने से वन क्षेत्र को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ.
06 अप्रेल 2013 को सुथारवाला मंडी के पास चारे में आग लगने से हजारों क्विटल चारा जलकर राख हो गया था.
17 अप्रैल 2013 को नाचना फांटा-पोकरण मार्ग में वन-विभाग के क्षेत्र भीषण आग लगने से चारा जलकर नष्ट हो गया था.
01 मई 2013 को भदरिया क्षेत्र में नहर किनारे लगी आग में सैकड़ों पेड़ जलकर नष्ट हो गए, जिससे पशुओं के सामने चारे का संकट पैदा हो गया.
04 मई 2013 को नाचना क्षेत्र में आग लगने से वन क्षेत्र में पेड़ जल गए.
22 मई 2014 को वन विभाग की नर्सरी में आग लगने से बड्डा गांव में चार झोंपे जल गए.
24 मई 2015 को रामगढ़ नहरी क्षेत्र में आग ने भीषण मचाई तबाही.
21 मई 2016 को नाचना क्षेत्र में वन विभाग के पेड़ों में आग लगने से अफरा-तफरी मच गई थी.
23 मई 2016 को नाचना क्षेत्र के 1251 आरडी पुलिया से पहले लगी आग से दर्जनों पेड़ जलकर राख हो गए थे.
14 अप्रेल 2017 को नोख क्षेत्र में आग लगने से वन्य क्षेत्र जल गया, जिसमें बहुत सा चारा भी नष्ट हो गया था.
29 मार्च 2018 को नाचना क्षेत्र में तीन किमी क्षेत्र में आग लग गई थी, जिससे अपार वन संपदा नष्ट हो गई.

वन संपदा को पहुंचा नुकसान
19 मई 2020 को नहरी क्षेत्र 1170 आरडी में भड़का दावानल.
15 मार्च 2022 को नहरी क्षेत्र 1357 आरडी के पास वन पट्टी में आग लगने से करीब एक किमी क्षेत्र की वन संपदा नष्ट हो गया था.
07 अप्रैल 2024 नाचना चिन्नू के बीच इंदिरा गांधी नहर की 1117 आरडी के पास वन पट्टी में भीषण आग लगने से हरा चारा नष्ट हो गया था.
22 मार्च 2019 को रामगढ़ क्षेत्र के 254 आरडी क्षेत्र में झाड़ियों में आग भड़कने से चारा समाप्त हो गया.
29 फरवरी 2020 को नहरी क्षेत्र में 1118 वनीय क्षेत्र में आग लगने से चारा नष्ट हो गया.
28 अप्रैल 2020 को नहरी क्षेत्र में 1117 आरडी क्षेत्र में आग लगने से बहुत ज्यादाचारा नष्ट हो गया.

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