नई दिल्ली. दुनियाभर में भारत तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश और दूसरा सबसे बड़ा एक्वाकल्चर करने वाला देश है. विश्व में मछली उत्पादन में भारत का योगदान लगभग 7.96 फीसदी का है. देश में लगभग 14 मिलियन लोग मछली पालन और उससे जुड़े कामों में लगे हुए हैं. इसी के चलते भारत में बड़ी मात्रा में मछली उत्पादन किया जाता है. देश में आंध्र प्रदेश सबसे बड़ा मछली उत्पादक राज्य है, इसके बाद पश्चिम बंगाल का स्थान आता है. पश्चिम बंगाल के बाद गुजरात में भी मछली पालन बड़े पैमाने पर होता है. गुजरात का स्थान तीसरा है.
उत्पादों को दुनिया भर में एक्सपोर्ट करने की बात आती है तो यहां से मछली को 75 देशों में निर्यात किया जा रहा है. भारत, दुनिया के प्रमुख मछली निर्यातकों में से एक है. सबसे अच्छी बात ये है है कि भारत से मछली निर्यात लगातार बढ़ रहा है. साल 2022-23 में भारत ने 8.09 बिलियन डॉलर मूल्य के 17 मिलियन मीट्रिक टन से ज़्यादा समुद्री भोजन का निर्यात किया था. साल 2023-24 में सी-फ़ूड (समुद्री खाद्य) निर्यात दोगुना बढ़कर 60 हजार 523.89 करोड़ रुपये हो गया है. इससे पता चलता है कि भारत में मछली पालन भविष्य अच्छा है.
क्या है मछलियों की खासियत
मछली पालन एक आर्थिक गतिविधि है. जिसमें मछली या किसी जलीय जीव का उत्पादन शामिल है. बात मछली की करें तो मछली सामान्य तौर पर एक ठंडे खून वाला जलीय जीव creatures है जो गलफड़ों से सांस लेती है और गलफड़ों से तैरती है. मछलियों के पंख उन्हें फिनफिश और शेलफिश के रूप में कैटेगराइज किया गया है. फिनफिश ठंडे खून वाले जलीय कशेरुक हैं. जिनमें गलफड़े, किरणों वाले पंख और शल्क होते हैं. वहीं शेलफिश ठंडे खून वाले जलीय अकशेरुकी जीव हैं. जिनके गलफड़े में कई तरह की क्षमताएं होती हैं. इनके शरीर को ढकने वाला एक खोल भी होता है.
मीठे पानी में पलती हैं 40 फीसदी मछलियां
बायो डाइवर्सिटी भारत में बड़ी संख्या में फिनफिश प्रजातियां हैं. नेशनल के डेटाबेस के अनुसार
ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज (एनबीएफजीआर), लखनऊ में देशी फिनफिश की 2,508 प्रजातियों को दर्ज किया गया है. जिनमें से 1,518 प्रजातियां समुद्री पर्यावरण से हैं. वहीं खारे पानी की मछलिया भी हैं और विदेशी मछली प्रजातियां भी हैं और मीठे पानी की मछलियां भी हैं. बताते चलें कि मीठे पानी की मछलियां ज्यादातर मीठे पानी में ही पाली जाती हैं. जैसे नदियों में. इसके अलावा ऐसी झीले जिनमें लवणता 0.5 पीपीटी से कम है. मीठे पानी की मछलियां उसमें आसानी से रह लेती हैं. सभी प्रजातियों में से लगभग 40 फीसदी मछलियां मीठे पानी में पाई जाती हैं.
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