नई दिल्ली. मछली पालन में बहुत से किस हाथ आजमा रहे हैं और मछली पालन से अपनी इनकम को भी दोगुना कर रहे हैं. वहीं सरकार भी चाहती है कि मछली पालन करके किसान अपनी आय को बढ़ाएं. यही वजह है कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. इससे मछली पालन को बढ़ावा देने का काम सरकार की ओर से किया जा रहा है. हालांकि मछली पालन और इसमें मुनाफा कमाने के लिए यह जानना बेहद ही जरूरी है कि किस मछली को तालाब में पाला जाए जो तेजी के साथ बढ़ती हैं और ज्यादा मुनाफा देती हैं.
फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि कतला प्रजाति की मछलियां तेजी से बढ़ाने वाली मछलियां होती हैं. यह भारत, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान की नदियों में पाई जाती हैं. यह ज्यादातर साफ जल स्रोतों में मिलती हैं. इनका वैज्ञानिक नाम कत्ला ओर भाकुर है और यह गंगा नदी तट की प्रमुख प्रजाति मानी जाती हैं. अगर आप भी मछली पालन करना चाहते हैं तो कत्ला को जरूर पालें ये आपको अच्छी कमाई करा देगी. फिश एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि जब भी नए लोग मछली पालन का काम शुरू करें तो वो एक बार इसकी ट्रेनिंग जरूर ले लें, ताकि उन्हें मछली पालन की तमाम बारीकियों के बारे में पता चल जाए.
यहां पढ़ें कतला मछली की खासियत
कतला मछली की बात की जाए तो यह कर मछली ज्यादा ज्यादा हिंसक नहीं होती है. यह भारत, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश पाकिस्तान में भी पाई जाती है.
कतला मछली यह खाने में बेहद ही स्वादिष्ट होती है और उसमें प्रोटीन की मात्रा भी बेहद ज्यादा होती है.
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि कतला मछली आमतौर पर मानसून के मौसम में अंडे देती है.
कतला मछली आसानी से साफ और गहरे पानी के टैंकों और तालाब में पाली जा सकती है.
ये मछली 25 से 32 डिग्री सेल्सियस के तापमान में यह तेजी के साथ बढ़ती है. 1 साल में या डेढ़ किलो से ज्यादा वजन हासिल कर लेती है.
उनकी अन्य खासियत के बारे में बात की जाती इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड सल्फर प्रोटीन और जिंक भरपूर मात्रा होता है.
कतला मछली इम्यून सिस्टम को बेहतर करने में भी मददगार होती है. कत्ला में कैलोरी की मात्रा भी कम होती है. इसका सेवन करने से कई फायदे होते हैं.
इसकी बनावट की बात की जाए तो इसके पंख काले रंग के होते हैं. इसके शरीर का रंग काला साल्टी होता है इसके किनारो पर सिल्वर रंग होता है और हल्के गुलाबी रंग के चैन भी होते हैं.
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