नई दिल्ली. मानसून का मौसम जहां मछली पालन के लिए अच्छा होता है और इससे मछली उत्पादन में वृद्धि होती है तो वहीं कुछ ऐसी दिक्कतें भी आती हैं. जिसका समय पर हल ना निकल जाए तो आपकी मछली पालन की पूरी मेहनत पर पानी फिर सकता है. यानी मछली पालन में बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है. ऐसे में मानसून के मौसम में मछली पालन से जुड़ी कुछ सावधानियां हैं, जिनको जानना हर मछली पालन के लिए बेहद जरूरी है. तभी वह मछली पालन के काम में अच्छा खासा फायदा उठा सकते हैं नहीं तो नुकसान हो जाएगा.
उत्तर प्रदेश मछली पालन विभाग (Uttar Pradesh Fisheries Department) के मुताबिक मानसून में अक्सर तालाब ओवरफ्लो हो जाता है. जिसकी वजह से मछलियां तालाब से बह जाती हैं. जिसके चलते मछली पालकों को नुकसान होता है.
क्या-क्या नुकसान होता है
दरअसल, जब बारिश होती है और पानी का बहाव बहुत तेज होता है तो तालाब का पानी किनारो से ऊपर चला जाता है. साथ में कीमती मछलियां भी बह जाती हैं.
इससे बचने का सबसे असरदार उपाय है कि बरसात से पहले तालाब के किनारे बंधा बना दिया जाए. यानि मिट्टी की मेढ़ बना दिए जाएं. जिससे मछलियां ओवरफ्लो की वजह से तालाब से बाहर नहीं जाएंगे.
वहीं तालाब के ऐसे हिस्से पर जहां ओवरफ्लो की वजह से पानी निकलता है वहां पर जाली लगवा देना चाहिए. ताकि पानी निकल जाए लेकिन मछलियां ना निकले.
अक्सर पानी में अमोनिया और पीएच का संतुलन हो जाता है. क्योंकि बरसात में कभी तालाब में खाना पानी ज्यादा हो जाता है या कभी मीठा पानी ज्यादा हो जाता है. इस वजह से ऐसा होता है.
इसलिए मानसून के मौसम में महीने में दो बार कम से कम तालाब की पानी की जांच करनी चाहिए और पीएच लेवल चेक करना चाहिए. ताकि यह पता चल सके की पानी में असंतुलन तो नहीं पैदा हो गया.
निष्कर्ष
अगर आप मछली पालन में पानी के संतुलन को चेक नहीं करेंगे तो इससे मछली पालन के काम में नुकसान होगा. इसके लिए आप एक एकड़ के तालाब में 50 किलो तक चूने का इस्तेमाल जरूर करें. ताकि पानी में जो असंतुलन हुआ है, वह सही किया जा सके.
Leave a comment