नई दिल्ली. मछली पालन करके भी अच्छी कमाई की जाती है. एक्सपर्ट भी मछली पालन को फायदे का सौदा बताते हैं. अगर ठीक से मछली पालन कर लिया तो लाखों रुपये सालाना कमा सकते हैं. मछली पालन को सरकार बढ़ावा भी दे रही है. मौसम के बदलाव के समय मछली पालन में अगर कुछ तकनीकों का सहारा लिया जाए तो फिर इससे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हासिल किया जा सकता है. गर्मी के मौसम में मछली पालन से अच्छी इनकम लेने के लिए मछली के सही रखरखाव की जरूरत होती है. फिश एक्सपर्ट का कहना है, कि सबसे अच्छा तरीका है कि सावधानी बरतें और बीमारियों से बचें. पानी को साफ रखें. एक्सपर्ट के मुताबिक चूना, लाल दवा या सीफेक्स का प्रयोग करें.
तालाब में ऑक्सीजन कम नहीं होनी चाहिए, जो आमतौर पर गर्मी के मौसम में सुबह के समय कम होती है, तालाबों में ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखने के लिए या तो एरेटर (पानी हिलाने वाली मशीनें) चलानी चाहिए या जानवरों या इंसानों को तालाबों में जाकर पानी को हिलाना चाहिए. गर्मी में भी मछली के तालाबों में पानी का स्तर लगभग 6 फीट रखा जाना चाहिए. इससे निचले हिस्से में पानी का तापमान उपयुक्त रहता है. मछली वाले तालाब का पानी खेतों में डालना चाहिए, जो कि फसलों के लिए बहुत फायदेमंद है. इसके स्थान पर तालाबों में नया पानी डालना चाहिए.
ऑक्सीजन की देखभाल जरूरी: गर्मी के दौरान ‘ऑक्सीजन’ के स्तर की निगरानी करना बेहद जरूरी होता है. तालाब में बढ़ी हुई जैविक गतिविधि के कारण सुबह के दौरान घातक स्तर तक गिर सकता है और श्रेष्टतम ऑक्सीजन स्तर बनाए रखने के लिए, सूर्योदय से पहले दिन के शुरुआती घंटों में तालाबों को ताजा पानी डालकर या एरेटर के माध्यम से पानी को साफ रखें. अगर मछलियां पानी की सतह पर हवा के लिए हांफती हुई दिखाई दें, तो हवा दें. ताजा पानी डालें और पानी की गुणवत्ता में सुधार होने तक खाद देना और खिलाना बंद कर दें. समय-समय पर जल विनिमय से मछली की वृद्धि और उत्पादन में और वृद्धि होगी.
बेहतर फीड: निरंतर प्लवक उत्पादन के लिए, चरणबद्ध तरीके से विभाजित खुराकों के साथ तालाब में खाद डालें. फीड की बर्बादी को कम करने और बेहतर फीड रूपांतरण दक्षता प्राप्त करने के लिए खेत में बने पेलेट फीड का उपयोग करें. अगर पानी का रंग गहरा हरा/भूरा/हरा-भूरा हो जाता है या पानी की सतह पर शैवाल के फूल दिखाई देते हैं, तो ऐसी स्थिति में सामान्य होने तक खाद डालना और खिलाना बंद कर दें. पानी के पीएच में दिन-रात के अंतर की भी जांच करें, जो दिन के अधिकतम घंटों के दौरान 9.5 को पार कर सकता है और रात के घंटों के दौरान 7.0 से नीचे गिर सकता है. विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार चूने या फिटकरी/जिप्सम का उपयोग करके श्रेष्टतम पीएच रेंज (7.5-8.5) बनाए रखें.
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