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Government Scheme: सरकार से मदद लें और शुरू करें फिश फार्मिंग, कमाई का है बेहतरीन मौका

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाओं को संचालित कर रही है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान मछली पालन में आगे आएं और इससे उन्हें फायदा हो. किसानों की इनकम डबल हो जाए. क्योंकि सरकार चाहती है कि किसानों की आय दोगुनी हो जाए, इसलिए फिश फार्मिंग को भी बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत सरकार की तरफ से केज कल्चर सिस्टम से मछली पालन करने के लिए किसानों की आर्थिक मदद की जा रही है. वहीं लोगों को मछली पालन से जुड़ी हुई तमाम बीरीकियां सिखाने के लिए भी योजना चलाई जा रही हैं.

अगर आपकी केज कल्चर सिस्टम से फिश फार्मिंग करना चाहते हैं तो सरकार की योजना का फायदा ले सकते हैं. इसके कई फायदे भी हैं. केज सिस्टम से मछली पालन करने से मछलियों का विकास तेजी से होता है. इस सिस्टम से मछलियां हेल्दी रहती हैं और सुरक्षित भी रहती हैं. केज में मछलियां रहती हैं. इसलिए मछलियों को आहार देना आसान होता है. मछलियों के बीमार होने की संभावना भी कम रहती है. मछलियों को निकालना और डालना आसान होता है. मछलियों पर नियंत्रण करना आसान होता है. सबसे अहम बात मछलियों की मौत भी कम होती है.

केज कल्चर के लिए सरकार से लें मदद
केज कल्चर से मछली पालन करना चाहते हैं और आपके पास बजट नहीं है तो जलाशयों एवं अन्य जल स्त्रोतों में केज मय इनपुट लगाने के लिए सरकार आर्थिक मदद करेगी. इसके लिए 3 लाख रुपए प्रति केज के इकाई लागत पर 40 फीसदी से लेकर 60 फीसदी तक आर्थिक रकम मिलेगी. इस योजना के तहत सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग और सभी महिलाओं व सहकारी समितियों को 60 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा.

ट्रेनिंग और कौशल विकास
मत्स्य पालन में दिलचस्पी रखने वाले व्यक्तियों को विभाग द्वारा मछली-कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, हैदराबाद की सहायता से ट्रेनिंग दी जाती है. साथ ही प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत अन्य उपयोजना एन्टरप्रेन्योरशिप मॉडल व फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास योजना (एफआईडीएफ) के तहत इनोवेशन, तकनीकी प्रर्दशन आदि अन्य मत्स्य विकास योजनाओं का फायदा लिया जा सकता है. गौरतलब है कि कई बार नए मछली पालकों को सही जानकारी न होने की वजह से काफी ननुकसान उठाना पड़ता है. उन्हें मछली पालन की जानकारी नहीं होती है, इसके चलते मछलियों को बीमारियां होती हैं और उनकी मौत हो जाती है.

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