Home मछली पालन Fish Farm: तालाब से मांसाहारी मछलियों को कैसे करें कंट्रोल, बेहद जरूरी है मछली पालन की ये जानकारी
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Fish Farm: तालाब से मांसाहारी मछलियों को कैसे करें कंट्रोल, बेहद जरूरी है मछली पालन की ये जानकारी

मांसाहारी मछलियों को बाहर न निकलने का नुकसान ये होता है कि ​जो मछली बीज डाला जाता है तो उसे भोजन नहीं मिल पाता है. फिर मछली पालक को भी इसका नुकसान उठाना पड़ता है.
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. बारहमासी तालाबों में अनेक तरह की मांसाहारी और अनचाही मछलियां भी रहती हैं. मांसाहारी मछलियां मत्स्य बीज को नुकसान पहुंचती हैं. जबकि उनकी छोटी-छोटी अनचाही मछलियां भोजन संबंधी नुकसान भी पहुंचती हैं. जिन्हें संभव हो तो बार-बार जाल चलाकर बाहर निकाल देना चाहिए. मांसाहारी मछलियों को बाहर न निकलने का नुकसान ये होता है कि ​जो मछली बीज डाला जाता है तो उसे भोजन नहीं मिल पाता है. फिर मछली पालक को भी इसका नुकसान उठाना पड़ता है.

यदि आप भी मछली पालन करना चाहते हैं तो इस बात की जानकारी जरूर होना चाहिए कि मांसाहारी और अनचाही मछलियों को किस तरह से काबू पाया जाए. न सिर्फ जाल से उन्हें कैसे बाहर निकल जाए बल्कि और क्या-क्या उपाय हैं जिससे इन मछलियों से छुटकारा हासिल किया जा सकता है. यहां हम आपको हम इककी जानकारी देते हैं.

पानी निकाल देने से मर जाती है मछलियां: जिन तालाबों में पानी को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है तो उससे मछलियों को पकड़ लिया जाता है और कुछ समय तालाब को सुखाने के लिए छोड़ दिया जाता है. इसके अलावा जहर का इस्तेमाल करके ऐसे तालाबों जिसमें पानी को बाहर निकालने की व्यवस्था नहीं होती है तो जहर का इस्तेमाल करके मछलियों को मारा जाता है. इसके लिए महुआ खली का इस्तेमाल होता है. महुआ खली को 200 से 250 पीपीएम 10 लाख भाग में एक भाग या 2000 किलोग्राम से 225 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर डालने से तालाब की सारी मछलियां मारी जा सकती हैं.

मछलियां सतह पर आ जाती हैं: खाली को पूरी तरह से तालाब में फैला दिया जाता है. खली को के एक छोर से दूसरी छोर तक डाला जाता है. इस तरह 5 से 6 बार तक जारी रखा जाता है. जहर से प्रभावित मछलियां बेजान होकर सतह पर आ जाती हैं और सतह पर आ जाने के बाद बाजार जाने से उनको पकड़ना आसान हो जाता है. महुआ खली के प्रयोग से मछलियों को पूरी तरह से खाने योग्य भी होती हैं. जल में इसका जहरीलापन करीब 15 दिन तक रहता है और इसके बाद जैविक खाद में बदल जाता है. मछली बीज का संचयन जहर का प्रभाव समाप्त हो जाने पर किया जाता है.

ब्लीचिंग पाउडर का भी होता है इस्तेमाल: वहीं अमोनिया इन हाइड्रा अमोनियम 20 से 25 पीपीएम की दर से उपयोग करना प्रभावशाली होता है. जहर का प्रभाव 4 से 6 सप्ताह तक होता है. ब्लीचिंग पाउडर का 25 से 30 पीपीएम घोल 3 से 4 घंटे के अंदर उपयोग करने पर अनचाही मछलियों को मारा जा सकता है. पाउडर को पानी में घोला जाता है. इसके बाद पाउडर पानी की सतह पर तुरंत डाला जाता है. 3 से 4 घंटे बाद जाल लगाकर मछली को बाहर निकाल लिया जाता है.

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