नई दिल्ली. मछली पालन में फीड पर ध्यान देना बेहद ही जरूरी है. मछलियों को जिस तरह का फीड दिया जाएगा, उसी तरह से उनकी ग्रोथ होगी. मछलियों की जब ज्यादा ग्रोथ होगी तो इससे मछली पालन के काम में ज्यादा मुनाफा मिलेगा. इसलिए बेहद ही जरूरी है कि मछली पालन के काम में फीड मैनेजमेंट को सही तरीके से किया जाए. ताकि मुनाफा ज्यादा मिल सके. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार सरकार (Animal and Fisheries Resources Department, Government of Bihar) की ओर से इसको लेकर अहम जानकारी साझा की गई.
लाइव स्टक न्यूज (Livestock Animal News) मछली पालकों के लिए ये अहम जानकारी को लेकर आया है ताकि किसी भी मछली पालक को नुकसान न हो.
कृत्रिम आहार क्या है
कृत्रिम आहार बनाने का मुख्य उद्देश्य मछलियों के शरीर के पूरी तरह विकास और जीवितता दर बढ़ाने के लिए उन्हें संतुलित पोषक तत्व उपलब्ध कराना है. बीमारी और कुपोषण से बचाना है. ताकि अधिक से अधिक उत्पादन हासिल किया जा सके.
कितनी तरह के होते हैं कृत्रिम आहार
(1) मेश्ड
(2) पीलेटेड आहार
(3) फ्लोटिंग आहार (तैरने वाला आहार).
मछली के फीड की क्या है खासियत
आवश्यक खाद्य पदार्थ से युक्त और सुपाच्य हो.
आहार मछली के लिए रुचिकर एवं आसानी से ग्रहण करने योग्य हो.
सभी पौष्टिक एवं पोषक तत्व आवश्यक मात्रा में उपलब्ध हो.
रूपान्तरण दर एवं अण्डे देने की क्षमता को बढ़ा सके.
आहार पानी में प्रदूषण ना पैदा करे.
आहार प्रबंधन क्यों है जरूरी
मौजूदा समय में मीठे जल की मछली की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इन मछलियों में प्रोटीन की मात्रा 14.25 फीसद और पाचकता दर 60-70 परसेंट होने के कारण यह मनुष्य के आहार में उच्च स्थान रखता है.
मत्स्य पालक तालाब के प्रबंधन के साथ-साथ आहार का समुचित, सुचारू एवं सुव्यवस्थित रूप से प्रयोग कर मत्स्य उत्पादन दो से तीन गुना तक आसानी से बढ़ा सकते है.
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