नई दिल्ली. खारा पानी में मछली पालन और झींगा पालन करने के लिए तालाब की खुदाई पर सरकार की ओर से सब्सिडी दी जा रही है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना स्कीम के तहत नए खारे व क्षारीय मत्स्य व झींगा पालन तालाब का निर्माण करने के लिए सरकार आर्थिक मदद कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा मछली किसान मछली पालन कर सकें और इससे मछली पालन को बढ़ावा मिले. वहीं इसका फायदा ये भी है कि इससे किसानों की इनकम का एक और जरिया बन जाएगा. अगर आप भी मछली पालन या झींगा पालन करना चाहते हैं तो सरकार की इस योजना का फायदा उठाकर अपना खुद का काम शुरू कर सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं.
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली और झींगा तालाब का निर्माण करने के लिए सरकार आर्थिक मदद एक हेक्टेयर के तालाब के निर्माण के लिए कर रही है. सरकार की ओर से एक हेक्टेयर के तालाब के निर्माण का खर्च आठ लाख रुपये तय किया गया है. अगर इतनी लागत का कोई मछली किसान तालाब निर्माण करवाता है तो सामान्य वर्ग के लोगों को 40 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी. जबकि अनुसूचित जाति महिला लाभार्थियों को 60 फीसदी तक अनुदान देने का प्रावधान है.
इस तरह मिलेगा योजना का फायदा
योजना का फायदा उठाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र, मतदाता कार्ड, जन्मतिथि प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, हाई स्कूल का प्रमाण पत्र देना होगा. वहीं जाति प्रमाण पत्र तहसीलदार द्वारा जारी किया हुआ देना होगा. मछली किसान अगर हरियाणा का निवासी है तो मत्स्य विभाग से कॉन्ट्रैक्ट भी करना होगा. आवेदन करने वाले के पास मछली पालन की ट्रेनिंग का सर्टिफिकेट भी होना चाहिए. जिस जमीन पर तालाब बनाया जाएगा उसे भूमि का रिकॉर्ड देना होगा. जमाबंदी नकल, एक्सजरा भी देना होगा. लाभार्थी की तालाब के साथ फोटो देनी होगी. वहीं एरियेटर के साथ भी फोटो देनी होगी. बैंक खाते और पैन कार्ड की डिटेल भी देनी होगी. तभी योजना का फायदा मिलेगा.
इस वजह से चल रही है ये योजना
फायदा पाने वाले के पास परिवार का पहचान पत्र होना जरूरी है. पीएमएमएसआई के तहत तालाब के निर्माण शहरी अर्ध शहरी क्षेत्र में मत्स्य पालन के विस्तार के लिए सरकार की ओर से ये योजना चलाई जा रही है. सिर्फ नवनिर्मित तालाब के लिए ही आर्थिक सहायता की जाएगी. अगर किसी मछली किसान के पास खुद की जमीन नहीं है और उसने जमीन का पट्टा करा रखा है तो 7 साल से काम का पट्टनमा नहीं होना चाहिए, नहीं तो योजना का फायदा नहीं मिलेगा. जिस लाभार्थी के पास अपनी खुद की जमीन है, उसके लिए भूमि स्मामित्व का राजस्व रिकॉर्ड देना होगा.
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