Home मछली पालन Fisheries: जम्मू-कश्मीर में तेजी से बढ़ रहा है फिश प्रोडक्शन, यहां पढ़ें कैसे मिली कामयाबी
मछली पालन

Fisheries: जम्मू-कश्मीर में तेजी से बढ़ रहा है फिश प्रोडक्शन, यहां पढ़ें कैसे मिली कामयाबी

CIFE will discover new food through scientific method
मछली का प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. जम्मू और कश्मीर में मत्स्य पालन विभाग ने एक आंकड़ा जारी किया है. जिससे पता चला है कि पिछले वर्षों में मछली पालन उत्पादन में वहां बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है. पिछले साल के मुकाबले कश्मीर में ही मछली उत्पादन में वृद्धि देखी गई है. जिसमें 5840 टन का इजाफा बताया जा रहा है. इस पीरियड के दौरान 366.5 लाख का राजस्व भी हासिल हुआ है. खास तौर पर ट्राउट का उत्पादन 2019 में 598 टन से बढ़कर 1990 टन हो गया है.

मत्स्य पालन निदेशक मोहम्मद फारूक डार का कहना है कि ये इजाफा उद्योग को बढ़ावा देने और उत्पादन प्रक्रिया में किसानों का समर्थन करने के तहत हुआ है. इसके अलावा विभिन्न सरकारी योजनाओं का भी नतीजा है. खास तौर से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए पिछले 4 साल में 56% फीसदी 611 इकाइयों के साथ निजी क्षेत्र के तहत 1144 ट्राउट शिक्षक इकाइयां शुरू की गई हैं.

रोजगार के नए अवसर पैदा हुए
डार के मुताबिक 2020-21 में पहली बार रीसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम और बायोफ्लॉक जैसी भूमि और जलीय कुशल मछली संवर्धन प्रौद्योगिकी की शुरुआत रोशनी डाली गई थी. पिछले तीन वर्षों में निजी क्षेत्र में 27 सफल बायोफ्लॉक और 8 आरएएस इकाइयां स्थापित की गईं हैं. जम्मू और कश्मीर में मत्स्य पालन क्षेत्र में पिछले 4 वर्षों के दौरान खाद्य रोजगार सृजन की महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में उभरा है. विभाग ने ट्राउट संस्कृति, कार्प संस्कृति और आधुनिक जलीय कृषि टेक्नोलॉजी की शुरुआत में मील का पत्थर हासिल किया है.

1392 टन ज्यादा ट्राउट प्रोडक्शन हुआ
निजी क्षेत्र में 2019 के बाद से विशेष वृद्धि हुई है. जिसमें ट्राउट उत्पादन में 1392 तन का इजाफा हुआ है. विभाग का कहना है कि अगले 5 वर्षों में विकास दर मौजूद 3.5% से बढ़कर 40 फ़ीसदी हो जाएगी. जिसका उद्देश्य केवल केंद्र शासित प्रदेश का मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना है. 2020 में एक उल्लेखनीय कदम उठाते हुए भाग में जालीय कृषि क्षेत्र में पूंजी और लोन को बढ़ाने के लिए मछुआरों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड का विस्तार किया है.

म्त्सय क्षेत्र को दिया गया ज्यादा बजट
सितंबर 2023 तक मछली किसने की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 7819.23 लाख की राशि दी गई है. 1171 मामलों को प्रायोजित किया गया है. 758 को मंजूरी दी गई है. इसके अलावा पिछले 4 वर्षों में आर्थिक कारोबार के रूप में फिश फीड फील्स मिल और प्राउड सी हैचरी की स्थापना की गई है. यूटी कैपेक्स बजट के तहत मत्स्य पालन के लिए धन प्रवाह में 34 फ़ीसदी की वृद्धि देखी गई है. जो क्षेत्र का समग्र विकास करने में मददगार है.

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

जब पूरी जानकारी होगी तो नुकसान का चांसेज कम होगा और इससे मुनाफा ज्यादा होगा. इसलिए अगर आप मछली पालन करना चाहते हैं तो जरूरी है कि मछली को खाना खिलाया जाता है उसकी जानकारी तो कम से कम कर लें.
मछली पालनसरकारी स्की‍म

PMMSY की 3 अहम पहल से फिशरीज सेक्टर को हुए कई फायदे, पढ़ें यहां

पीएमएमएसवाई लाभार्थी गतिविधियों और बिजनेस मॉडल के तहत वित्तीय सहायता (1.5 करोड़...

fish farming
मछली पालन

Fish Farming: मछलियों की बेहतर ग्रोथ के लिए किस तरह का फीड दिया जाए, जानें यहां

यदि आप भी चाहते हैं कि आपके तालाब की मछलियां हैल्दी रहें...

Under the Prime Minister Matsya Sampada Yojana (PMMSY), the flagship scheme of the Government of India in Andhra Pradesh, a total investment of Rs 2300 crore has been envisaged in the fisheries sector for five years. livestockanimalnews
मछली पालन

Fisheries: मछुआरों की समस्याओं को हल करने पर दिया गया जोर, परेशानियों का हल भी बताया

नीति निर्माण और वैज्ञानिक अनुसंधान को एक साथ चलना चाहिए और वैज्ञानिक...