Home पशुपालन Cow Husbandry: देशी नस्ल की गाय क्यों विदेशी नस्ल से होती है बेहतर, इन 11 प्वाइंट्स में समझें
पशुपालन

Cow Husbandry: देशी नस्ल की गाय क्यों विदेशी नस्ल से होती है बेहतर, इन 11 प्वाइंट्स में समझें

milk production
गाय की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. देश में बड़े पैमाने पर पशुपालन हो रहा है. बहुत से किसान पशुपालन करके अच्छी खासी आय भी हासिल कर रहे हैं. पशुपालन अब व्यापार का रूप ले चुका है. इसलिए किसान ऐसे पशुओ को पालना चाहते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा लाभ हो. कई बार इसी फायदे की वजह से किसान विदेशी नस्ल के पशुाओं को भी पालते हैं. जबकि देशी नस्ल के पशुओं का पालना विदेशी नस्ल के मुकाबले हमेशा ही समझदारी का सौदा है.

विदेशी नस्ल को पालने का चलन बढ़ने की वजह से देशी नस्लों के संरक्षण करने की जरूरत आ पड़ी है. जब कभी प्राकृतिक संसाधन की कमी हो जाती है, इसे बचाने के लिए सावधानी और रखरखाव को ही संरक्षण कहा जाता है. स्वदेशी मवेशियों के प्रभावी प्रबंधन के संसाधनों पशुओं की पहचान, लक्षण, मूल्यांकन दस्तावेजीकरण संरक्षण में आता है. इस तरह से संरक्षण में आनुवांशिक परिवर्तनशीलता के निरंतर रखरखाव और सुधार दोनों शामिल है. किसी नस्ल के संरक्षण की आवश्यकता तब होती है जब जनसंख्या के कमी हो जाती है.

देसी नस्लों का संरक्षण क्यों जरूरी है
स्वदेशी नस्ल हैं जो भौगोलिक क्षेत्र की मिट्टी और जलवायु की स्थिति के मूल निवासी हैं. जहां इस पालतू बनाया गया है. इनमें निम्नलिखित विशेषताएं थी जिन विदेशी नस्लों की तुलना में ज्यादा महत्व बनती हैं.
1-देसी नस्लों में विदेशी नस्लों की तुलना में बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है.
2-दवा से इलाज की संभावना कम हो जाती है और उनका दूध उत्पादन भी ज्यादा होता है.
3-काम इनपुट प्रबंधन प्रणाली के लिए अधिक उपयुक्त होती हैं.
4-यहां के वातावरण में अच्छी ग्रोथ पाने में सक्षम होती हैं और स्थानीय बीमारियों जलवायु वैरिएंट्स के प्रति लचीली होती हैं.
5-कई पारंपरिक कृषि प्रणालियां में स्वदेशी गाय कृषि स्थिति की संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं. उनकी खाद बेहतरीन प्रकृति उर्वरक के रूप में काम आती है, जो मिट्टी की आवश्यक पोषक तत्व देती है.
6-उनकी चराई की आदतें वनस्पति के प्रबंधन को रोकने और जैव विविधता को बढ़ावा देने में मदद करती हैं.
7-बेहतर स्वदेशी नस्लों का अस्तित्व बेहतर नस्लों के विकास के लिए फायदेमंद और रिसर्च इनपुट देने में मददगार होती हैं.
8-शंकर विदेशी नस्लों के इतर जिन्हें दूध की पैदावार बढ़ाने के लिए कृत्रिम रूप से इंजेक्ट किया जाता है. देसी गायों के बिना किसी हार्मोनल इंजेक्शन एंटीबायोटिक के दर्द को झेलना पड़ता है. इस वजह से कम मात्रा में ही सही उनका ए टू दूध बेहतर और स्वस्थ होता है.
9-देसी गाय कुबड़ वाली होती हैं, जो उन्हें विटामिन डी की को बेहतर ढंग से एब्जोर्ड करने में सक्षम बनाती हैं. जिससे उनकी दूध की गुणवत्ता अच्छी होती है.
10-देसी नस्ल आमतौर पर प्राकृतिक घास को चरती है. इससे इन गायों के दूध का पोषण और अधिक स्वादिष्ट होता है. कुछ लोग खुले में चरने वाली गाय के दूध से बनी घी को सबसे अच्छा मानते हैं.
11-देसी गायों को विशेषता यह है कि उनकी दूध में A1 प्रोटीन नहीं होता है. इसके बजाय गिर, साहिवाल और थारपारकर जैसी गायों की नस्लों में केवल A2 दूध ही होता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: क्यों होता है पशुपालन में सेक्स्ड सार्टेड सीमन का इस्तेमाल, क्या हैं इसके फायदे

सेक्स्ड सार्टेड सीमन की हर एक स्ट्रा पशुपालकों के लिये 100 रुपये...

Foot-and-mouth disease, lameness disease, black quarter disease, strangulation disease, hemorrhagic septicemia, HS, live stock, live stock animals, animal husbandry, animal husbandry, animals sick in rain
पशुपालन

Dairy Animal Fodder: पशुओं के लिए हरा और सूखा दोनों चारा मिलता है इस फसल से, डिटेल पढ़ें यहां

आधी मात्रा व फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा को बुवाई के...

langda bukhar kya hota hai
पशुपालन

Dairy Farm: 10 प्वाइंट्स में जानें कैसा होना चाहिए डेयरी फार्म का डिजाइन ताकि हैल्दी रहे पशु

क्षेत्र की जलवायु भी महत्वपूर्ण है और पशु आवास सुविधाओं के निर्माण...