Home मछली पालन Fisheries: क्या है रेडी टू ईट-रेडी टू कुक कांसेप्ट, इससे मछली बाजार को कैसे मिलेगी रफ्तार
मछली पालन

Fisheries: क्या है रेडी टू ईट-रेडी टू कुक कांसेप्ट, इससे मछली बाजार को कैसे मिलेगी रफ्तार

fish market
मछली पालन की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मछली कारोबार को और ज्यादा रफ्तार देने के मकसद के तहत फिश प्रोसेसिंग यूनिट को बढ़ावा देने के लिए हर स्तर पर संभावनाओं को तलाशा जा रहा है. कोशिश की जा रही है कि मछली कारोबार और उससे बने प्रोडक्ट को ग्राहक मिलें, इसके लिए मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने कई बड़ी योजनाओं पर मंथन शुरू कर दिया है. इस चर्चा में मंत्रालय अलाववा मछली पालक से लेकर फिश सेक्टर से जुड़े बड़े कारोबारियों को भी शामिल किया गया है और रेडी टू ईट-रेडी टू कुक कांसेप्ट पर चर्चा की जा रही है. वहीं फ्रोजन मछली की डिमांड बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाओं पर कार्य शुरू किया गया है. जबकि अन्य योजना पर भी मंथन जारी है ताकि इससे घरेलू मछली बाजार को रफ्तार दी जा सके.

घरेलू डिमांड बढ़ाने की कवायद
रिपोर्ट के मुताबिक मंत्रालय चाहता है कि मछली पकड़ने के काम पर अपना जीवन गुजारने वाले लोगों के लिए घरेलू बाजार में मांग बढ़ जाए. घरेलू बाजार से ताजा मछली के अलावा फ्रोजन मछली और उससे बने प्रोडक्ट की डिमांड मिले. ताकि केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) का लाभ लेने वालों की आय भी दोगुनी हो जाए. वहीं केन्द्रीय मछली विभाग के सचिव जतीन्द्र नाथ स्वैन ने कहा कि फ्रोजन मछली की तरफ लोगों का विश्वास जीतना है तो एक्सपोर्ट क्वालिटी वाले नियम घरेलू मछली सप्लाई में भी लागू करने होंगे.

घरेलू सप्लाई में लागू करें एक्सपोर्ट क्वावलिटी
इस मसले पर मछली कारोबार से जुड़े मनोज शर्मा का कहना है कि मछली एक्सपोर्ट में क्वालिटी को लेकर कड़े नियमों का पालन होता है. यदि फ्रोजन मछली को लेकर लोगों का भरोसा जीतना है तो एक्सपोर्ट क्वालिटी वाले नियम घरेलू मछली सप्लाई में भी सख्ती के साथ लगू करने होंगे. साथ ही देश में मौजूदा सप्लाई चेन का भी इस्तेमाल करना पड़ेगा. तभी लोग फ्रोजन मछली और मछली से बने प्रोडक्ट की तरफ लोगों का रुझान बढ़ेगा.

क्या है प्रोसेसिंग यूनिट, आरटीई और आरटीसी
मछली पालक राहुल सागर कहते हैं कि हाल ही में मंत्रालय एक कार्यक्रम में फाल्कन मरीन एक्सपोर्ट के जनरल मैनेज जीएस रथ, अमलगम ग्रुप के अध्यक्ष एजे थारकन और फ्रेश टू होम के सीईओ मैथ्यू जोसेफ ने हिस्सा लिया था. इन मेहमानों ने जोरशोर से कहा कि देश में फिश प्रोसेसिंग यूनिट, रेडी टू ईट और रेडी टू कुक मछली की जरूरत है. ताकि कारोबार को रफ्तार दी जा सके. उन्होंने ​कहा कि लोग फ्रोजन फिश के बजाए ताजा मछली ही खाना पसंद करते हैं. इसके लिए लोग अतिरिक्त रुपये और समय भी देने को तैयार हैं. असल में इन सबसे पहले प्रोसेसिंग यूनिट, आरटीई और आरटीसी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.

मछली करोबार पर डालें नजर
साल 2010-11 में प्रोडक्शन- 82.31 लाख टन
साल 2021-22 में प्रोडक्शन- 162.48 लाख टन

साल 2019-20 में-

मरीन फिश प्रोडक्शन- 37.27 लाख टन
इनलैंड फिश प्रोडक्शन- 104.37 लाख टन
12.89 लाख टन फिश एक्सपोर्ट हुई.

साल 2021-22 में-

मरीन फिश प्रोडक्शन- 41.27 लाख टन
इनलैंड फिश प्रोडक्शन- 121.21 लाख टन.
13.69 लाख टन फिश एक्सपोर्ट हुई.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Interim Budget 2024
मछली पालन

Fish Farming: ठंड में मछलियों की मृत्युदर रोकने के लिए क्या करना चाहिए जानें यहां

ठंड के मौसम में मछलियों की सिर्फ मृत्युदर ही की समस्या नहीं...

fish farming in pond
मछली पालन

Fisheries: ठंड में मछलियों को रहता है इन बीमारियों का खतरा, पढ़ें डिटेल

मछली एक जलीय जीव है और इसकी देखरेख मौसम के हिसाब से...

Fisheries,Fish Farming, Fish Farming Centre, CMFRI
मछली पालन

Fisheries: तालाब में पाल रहें हैं मछलियां तो तुरंत करें ये काम, लापरवाही की तो होगा बड़ा नुकसान

ठंड में मछलियों को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है. फिश एक्सपर्ट...