Home मछली पालन Fisheries: मछली पालन में जादू की तरह काम करती हैं ये चीजें, जानें इनके बारे में
मछली पालन

Fisheries: मछली पालन में जादू की तरह काम करती हैं ये चीजें, जानें इनके बारे में

तालाब में खाद का अच्छे उपयोग के लिए लगभग एक सप्ताह के पहले 250 से 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर बिना बुझा चूना डालने की सलाह एक्सपर्ट देते हैं.
तालाब में मछली निकालते मछली पालक

नई दिल्ली. मछली पालन एक बेहद ही फायदेमंद कारोबार है. बहुत से किसान मछली पालकर अपनी इनकम को दोगुना कर रहे हैं. जबकि सरकार भी मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों की मदद करती है. भारत में जितनी मछली की डिमांड है, उतनी मांग पूरी नहीं हो पाती है. इसकी वजह यह है भी है कि कि भारत में मछली पालन की सटीक जानकारी बहुत से किसानों के पास नहीं है. मछली पालन के दौरान कई खास बातों का ध्यान रखना होता है.

आरगेनिक मेथड जो मछलिया शाकाहारी भोजन पर निर्भर रहती हैं और जो मछलियां इन अनावश्यक वनस्पतियों को खाद्य में उपयोग कर सकती हैं. उनके प्रमाण में मछलियों का संचयन 150 से 200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर किया जाता है. तालाब में आरगेनिक मेथड से वंनस्पतियों का नियंत्रण करने के लिए मछलियों कि विभिन्न प्रजातियों को निश्चित अनुपात में छोड़े. उदा. ग्रास कार्प 150 से 200 किलो प्रति हेक्टेयर और तिलापिया 1000 संख्या प्रति हेक्टेयर. नुकसान पहुंचाने वाली मछलियों को निमंत्रण करने के लिए मत्स्य संवर्धन के लिए छोड़े हुए मछलियों के बीज को खा जाती हैं, साथ खाद और जगह के लिए लड़ाई करती हैं.

बुझा हुआ चूना: तालाब में खाद का अच्छे उपयोग के लिए लगभग एक सप्ताह के पहले 250 से 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर बिना बुझा चूना डालने की सलाह एक्सपर्ट देते हैं. जैविक और रासायनिक खाद दोनों ही तरह का संभावित उपयोग फायदेमंद होता है. पहले प्रतिमाह जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए. उसके 15 दिन के बाद रासायनिक खाद डालना चाहिए. मत्स्य संचयन के 15 दिन के पहले शुरू में मात्र 5000 किलोग्राम ताजा गोबर प्रति हेक्टेयर की तरह से डालना चाहिए. दूसरे महीने से प्रतिमा 555 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की तरह से डाला जाता है.

महुआ खल: महुआ खल की मदद से भी इन जीवों को नष्ट किया जा सकता है. बाद में खाद के तौर पर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है. कई राज्यों में महुआ के पौधे भी मिलते हैं. इन पौधों की मदद से तालाब की जीव जंतु तो नष्ट हो जाते ही हैं. साथ ही खाद के तौर पर इसका इस्तेमाल होता है. महुआ की खली का घोल 2500 प्रति किलोग्राम है और इस वजह से काम के लिए ठीक समझा जाता है. इस बात का भी ध्यान रखें कि तालाब के पानी में बहुत ज्यादा पानी वाले पौधे न हों. अगर ऐसा है तो उन्हें निकाल देना चाहिए नहीं तो मछलियों का विकास ठीक से नहीं होगा.

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

how to treat a fish ulcer
मछली पालन

Fish: मछली बीज का ज्यादा उत्पादन लेने के लिए पढ़ें एक्सपर्ट की ये सलाह

मत्स्य बीज पक्षेत्र सुनारू फतुहा पटना के सहायक मत्स्य निदेशक डॉ. टुनटुन...

fish farming in pond
मछली पालन

Fish Farming: बरसात में तालाब के अंदर अमोनिया और नाइट्रेट का असर कम करने के लिए करें ये काम

तालाब के अंदर फंगेसियास और मांगुर जैसी मछलियां बहुत ज्यादा बीट करती...

Under the Prime Minister Matsya Sampada Yojana (PMMSY), the flagship scheme of the Government of India in Andhra Pradesh, a total investment of Rs 2300 crore has been envisaged in the fisheries sector for five years. livestockanimalnews
मछली पालनसरकारी स्की‍म

Fish: 9 साल में चार गुना हुआ सीवीड उत्पादन, खेती की यहां है संभावनाएं

समुद्री शैवाल की खेती, PMMSY के अंतर्गत प्राथमिकता वाली गतिविधियों में से...