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Fishers: डिवाइस बचाएगी मछुआरों की जान, पढ़ें क्या है इस टू-वे कम्युनिकेशन ट्रांसपोंडर की खासियत

What two-way communication transponder
मछुआरों की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. तटीय इलाकों में रहने वाले लाखों मछुआरों की रोजी रोटी मछली को पकड़ने से चलती है. हालांकि इसमें बहुत जोखिम है लेकिन दो जून की रोटी के लिए मछुआरे इसको करते ही हैं. हर रोज समुंद्र में मछली पकड़ने के लिए मछुआरों को जाना होता है. ये काम छोटी-बड़ी नौकाओं के सहारे किया जाता है. इस काम के लिए कई कई दिनों तक मछुआरे समुद्र में रहते हैं और मछलियों को पकड़ते हैं. दिक्कत तब होती है जब मछुआरों की नौकाएं दुर्घटनाओं का शिकार हो जाती हैं. वहीं मौसम खराब होने पर समुद्र में भी कई कई दिन मछुआरे फंस जाते हैं. ऐसे में उन्हें उम्मीद रहती है कि उन्हें मदद मिलेगी, लेकिन समुद्र में मोबाइल फोन काम नहीं करने की वजह से ये संभव नहीं हो पाता है.

3.5 लाख नौकाओं में लगेगी डिवाइस
ऐसे में मछुआरों की इसी बड़ी दिक्कत का हल निकालते हुए केन्द्र सरकार ने एक योजना की शुरुआत की है. इसके तहत मछुआरों की नौकाओं में सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के जरिए टू-वे कम्युनिकेशन ट्रांसपोंडर लगाने की तैयारी में है. मछुआरों की नौकाओं में लगाए जा रहे टू-वे कम्युनिकेशन ट्रांसपोंडर को बनाने की जिम्मेदारी इसरो को दी गई है. वहीं इसरो ही इसे किसी के सहयोग से बनवा रही है. दावा किया जा रहा है कि इसरो के द्वारा ही छोड़े गए उपग्रहों से इन्हें जोड़ा जा रहा है. करीब 3.5 लाख नौकाओं में ट्रांसपोंडर जोड़े जाएंगे.

मछुआरे मदद मांग सकेंगे
जानकारों का कहना है कि केन्द्र सरकार पहले फेज में मछुआरों की करीब एक लाख नौकाओं में टू-वे कम्युनिकेशन ट्रांसपोंडर लगाने की योजना पर काम कर रही है. जिन नौकाओं में डिवाइस लगाई जाएगी, वो 20 मीटर से कम लम्बाई वाली होंगी. इसके जरिए मछुआरों की नौकाओं की निगरानी करने वाली एजेंसियां, इसके माध्यम से मछुआरों को हर तरह की जानकारी भेज सकेंगी. मछुआरों को बताया जा सकेगा कि मौसम खराब है या होने वाला है. उन्हें चेतावनी दी सकेगी. लोकेशन भी बताई जाएगी. साथ ही टू वे कम्युनिकेशन होने के चलते मछुआरे भी परेशानी के दौरान मैसेज भेज सकेंगे और मदद मांग सकेंगे.

समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए भी बेहतर
सरकार का दावा है कि इससे मछुआरों का कारोबार भी बढ़ेगा और वो काम करने के दौरान जोखिम में भी नहीं फंसेंगे. उनकी हर संभव मदद की जा सकेगी. दावा किया जा रहा है कि इससे समुंद्री सीमा की सुरक्षा भी हो सकेगी. जानकारों का कहना है कि मुंबई हमले के दौरान ये बात सामने आ चुकी है कि हमलावर समुद्र के रास्ते शहर में प्रवेश कर गए थे. भारत में दाखिल होने के लिए उन्होंने एक नौका चोरी की थी. इसी को देखते हुए केन्द्र सरकार की इस योजना का फायदा वहां भी मिलेगा. कहा जा रहा है इस वजह से भी इस योजना को शुरू किया गया है. इससे भारतीय सीमा में रहने वाली हर एक नौका निगरानी में रह सकेगी. एजेंसियां भी संपर्क में रहेंगी.

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