नई दिल्ली. पशुपालन में पशुओं के लिए ठंड का मौसम भी बहुत मुश्किलों वाला होता है. जबकि मोजूदा वक्त में अच्छी खासी ठंड शुरू हो चुकी है. कई इलाकों में तो शीतलहर भी चलने लगी है. इसके कारण सुबह-सुबह टेंप्रेचर बेहद ही कम रिकॉर्ड किया जा रहा है. वहीं दोपहर में थोड़ी राहत जरूर रह रही है लेकिन शाम में एक बार फिर से टेंपरेचर लुढ़क जा रहा है. इस नाते जहां आम इंसान परेशान तो है वहीं पशुओं को भी बेहद ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि ठंड की वजह से पशुओं के दूध उत्पादन पर भी असर पड़ता है. दूध का उत्पादन कम हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि पशुओं के रहन-सहन में कुछ बदलाव किए जाएं जिससे पशुओं के दूध उत्पादन पर कोई असर न पड़े और इससे पशुपालकों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके.
धूप में पशुओं को जरूर ले जाएं
एक्सपर्ट का तो यह भी कहना है कि ज्यादा ठंड के चलते पशुओं की प्रजनन शक्ति पर भी असर पड़ता है. जब पशु बीमार पड़ जाते हैं तो चारा खाना भी कम कर देते हैं. इस वजह से उनका दूध उत्पादन गिर जाता है. इसलिए जरूरी है कि पशुओं को सर्द हवाओं से बचाया जाए. दिन में जब धूप निकले तो पशुओं को धूप में जरूर बांधना चाहिए. ताकि उन्हें कुछ गर्मी का एहसास हो और इस बात का भी ध्यान दें कि पशुओं को कभी भी खुले में न बांधे नहीं तो उन्हें ठंड भी लग सकती है.
शेड में ये व्यवस्था करें
एनिमल एक्सपर्ट की माने तो पशुओं के बाड़े में जहां से भी हवा आ रही हो, उस इलाके को पैक करना बेहद ही जरूरी काम है. ताकि हवा अंदर आने से रोका जा सके. जब सर्दी और बढ़ जाए तो पशुओं को कंबल उढ़ाया जा सकता है. इससे उन्हें फायदा मिलता है. उन्हें गर्मी के एहसास होता है. शेड में अलाव भी जलाया जा सकता है. जिससे टेंपरेचर मेंटेन किया जा सकता है. इससे ये भी फायदा होता है कि मच्छर और कीड़े भी शेड से दूर हो जाते हैं.
खिलाएं ये चारा तो ऊर्जावान रहेंगे पशु
एनिमल एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि ठंड के मौसम में पशुओं के चारे और खुराक में भी बदलाव किया जाना चाहिए. क्योंकि ऐसे मौसम में पशुओं खाना पचाने में आसानी हो जाती है. उन्हें ज्यादा भूख लगती है. तो इसलिए जरूरी है कि उन्हें मोटा अनाज खिलाया जाए. साथ ही पशुओं की खुराक में सरसों की खली भी शामिल की जानी चाहिए. इससे उन्हें प्रोटीन मिलता है और पशुओं की ऊर्जावान रखने में यह मदद करता है.
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