नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए ये जरूरी है कि फार्मिंग के तरीकों को सीख लिया जाए. इसमें कई चीजें अहम होती हैं. जिसमें तीन का जिक्र हम यहां करने जा रहे हैं. पोल्ट्री फार्मिंग में ज्यादा प्रोडक्शन के लिए सबसे जरूरी काम ये है कि अच्छी नस्ल का चुनाव किया जाए. वहीं इसके बाद चूजों की देखभाल का नंबर आता है. सही ढंग से की गई देखभाल उन्हें बेहतर उत्पादन करने वाला पक्षी बनाती है. जबकि मुर्गियों को दाने की व्यवस्था करना भी पोल्ट्री फार्मिंग का एक अहम हिस्सा है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि नस्ल का चुनाव, चूजों की सही ढंग से देखभाल और दाना देने की सही व्यवस्था करने में कामयाबी का मतलब है कि पोल्ट्री फार्मिंग में मोटा मुनाफा कमाना.
अच्छी नस्ल का चुनाव
पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो हमेशा ही उन्नत व अच्छी नस्ल की मुर्गियों से अधिक अंडों का उत्पादन मिलता है. जबकि ब्रॉयलर से मांस प्राप्त कर अधिक लाभ लिया जा सकता है. वहीं उन्नत संकर नस्ल से साल भर में में ज्यादा अंडा लिया जा सकता है. जबकि मुर्गी उन्नत नस्ल की नहीं होगी तो हो सकता है उत्पादन कम मिले. अच्छी नस्ल के ब्रायलर चूजे कम दाना खाकर जल्दी ज्यादा हासिल कर लेते हैं.
चूजों की देखभाल
चूजे प्राप्त करने से पहले दड़बे में कीटाणुनाशक दवाओं से अच्छी तरह धो दें. दीवारों पर भी छिड़काव करें. जिससे बैक्टीरिया मर जाए.
ब्रूडर के चारों ओर चिक गार्ड लगा दें. आठ दस दिन बाद चिक गार्ड हटा दें. ताकि चूजों को घूमने की जगह मिल सके.
चूजों के आने से 12 घंटे पहले ब्रूडर में लालटेन या बिजली के बल्व जला दें. जिससे दड़बा गर्म हो जाए.
चूजे स्वस्थ हों और उन्हें ऐसी हैचरी से खरीदें जो जन्मजात बीमारियों से दूर हो.
ब्रूडर में अधिक गर्मी हो तो थोड़ी कम कर देनी चाहिए.
यदि ब्रूडर में चूजे एक स्थान पर रहें तो समझ लें कि गर्मी कम है. तब ब्रूडर का ताप बढ़ायें.
दाने की व्यवस्था
मुर्गी पालन में 70 प्रतिशत खर्चा दाने पर होता है. मुर्गियों को हमेशा ताजा, शुद्ध संतुलित आहार देना चाहिए.
उम्र के आधार पर विभित्र तैयार आहार बाजार से खरीद कर खिलाये जा सकते हैं.
दाना हमेशा नमी रहित जगह पर रखना चाहिए. नहीं तो दाने में फफूंद लग सकती है, जिससे मुर्गियों में बीमारी की आशंका बनी रहती है.
अधिक दिनों तक मुर्गीदाना स्टोरेज करके नहीं रखना चाहिए.
एक चूजे के लिए 0-8 हफ्ते की उम्र तक स्टारटर आहार 8-20 हफ्ते की उम्र तक ग्रोवर आहार व खाद में लेवर दाना देना चाहिये.
उम्र के आधार पर मुर्गी के शरीर को विभिन्न पोषक तत्वों जैसे प्रोटीन वसा के लिए मिनरल्स व विटामिन्स की जरूरत अलग होती है.
एक चूजे को मुर्गी बनने के लिए लगभग 13 किलो दाने की जरूरत होती है.
एक मुर्गी दिन भर में लगेभग 100-120 ग्राम दाना रोज खा लेती है व साल भर में लगभग 40 किलो दाना खाती है.
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