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Fish Farming: इन दो वजहों से मछलियां होती हैं बीमार, खाने से इंसानों को भी हो सकती हैं बीमारियां

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तालाब में मछली.

नई दिल्ली. भारतीय इतिहास पर जब गौर करेंगे तो भोजन के नजरिए से मछली को शुभ और श्रेष्ठ माना जाता है. ज​बकि वैज्ञानिकों द्वारा मछली को बायोइंडीकेटर माना गया है. जलीय पर्यावरण को सन्तुलित रखने में मछली की विशेष उपयोगिता है. आज के दौर में इंसानों को पोषण के लिए सन्तुलित आहार की जरूरत है. संतुलित आहार की पूर्ति विभिन्न खाद्य पदार्थों की उचित मात्रा में मिलाकर की जा सकती है. जबकि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज लवण आदि की ज्यादा जरूरत होती है. जिसकी पूर्ति मछली से की जा सकती है. क्योंकि मछलियों में लगभग 70-80 प्रतिशत पानी, 13-22 प्रतिशत प्रोटीन, 1-3.5 प्रतिशत खनिज पदार्थ एवं 0.5-20 प्रतिशत चर्बी पायी जाती है जिस कारण मछली का आहार काफी पौष्टिक माना गया है.

जितना इंसानों के स्वस्थ शरीर के निर्माण के लिए मछली के मांस की आवश्यकता है तो वहीं मछली का स्वस्थ होना भी उतना ही आवश्यक है. क्योंकि यदि मछली स्वस्थ नहीं होगी और उसका मांस खाने में इस्तेमाल किया जायेगा तो बीमारी का खतरा बढ़ जाएगा. यदि पानी में किसी भी प्रकार की गन्दगी हो जाती है. इंटेमेसी या क्षारीयता घट-बढ जाती है ऐसे में पानी में विभिन्न प्रकार के वायरस/बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं. जो मछली के शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न कर देते हैं. जिस कारण मछलियां मर भी जाती हैं. तथा इनके खाने से शरीर पर गलत असर भी पड़ता है.

गंदगी की वजह से होती हैं बीमार
एक्सपर्ट कहते हैं कि मछलियों में रोग लगने के मुख्य दो कारण होते है. एक तो तालाब में गन्दगी का होना. इसके अलावा दूसरा तालाब में पूरक आहार की कमी होना. आमतौर पर देखा जाता है कि तालाब गांवों के किनारे या बीच में बने होते हैं. जिनमें घरों की नालियां, नापदान, कूडा कचडा आदि डाला जाता है. यहां तक कि छोटे-छोटे बच्चों को शौच भी तालाब में ही कराया जाता है. जिस कारण तालाब में अकार्बनिक क्रियायें शुरू हो जाती है. एवं तालाब का पीएच (हाइड्रोजन आयन कन्सट्रेशन) बढ़ या घट जात है. जिस कारण मछलियों में रोग स्वाभाविक है. इसके अलावा आक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाती है. तालाब का पानी गंदा हो जाता है तथा उसमें तमाम तरह के परजीवी एवं जीवाणु पनप जाते हैं. जो मछलियों में कई तरह के रोग पैदा कर देते हैं.

पूरक आहार भी है बीमारी की वजह
तालाब में पूरक आहार या प्राकृतिक आहार की कमी होने पर मछलियां दुर्बल हो जाती हैं. जिस कारण उनकी जैविक क्रियायें शिथिल पड़ जाती है एवं उन पर कई प्रकार के रोग लग जाते है. इसलिए हमेशा ही मछलियों को समय-समय पर पूरक आहार देना चाहिए. वहीं गर्मियों में तो मछलियों को ग्लोकोज तक दिया जाता है. ताकि वो बिल्कुल स्वस्थ रहें. मछलियों में कुछ रोग फैलने से तालाब में एक साथ कई मछलियों मर जाती है. जिस कारण मत्स्य पालक को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. मत्स्य पालकों को मछलियों में होने वाले रोगों का ज्ञान होना अति आवश्यक है. ताकि वे समय पर उसका उपचार कर सकें. मछलियों में पाये जाने वाले कुछ रोग निम्न प्रकार हैं.

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