नई दिल्ली. पशुपालकों के सामने एक मुश्किल खड़ी हो गई है. दरअसल पशुओं के लिए चारे का संकट हो गया है. बता दे की महाराष्ट्र में इस साल उम्मीद के मुताबिक बेहद कम बारिश हुई है. जिसकी वजह से कई जगह पर पानी की कमी हो गई है. वहां सूखे जैसी स्थिति हो गई और पशुओं के लिए चारे की समस्या खड़ी हो गई है. पशुओं के लिए चारे की समस्या को देखते हुए परभणी जिले में प्रशासन ने एक बेहद ही अहम फैसला लिया, जिसमें कहा गया है कि परभणी से दूसरे जिले में चारा नहीं ले जाया जा सकता है. बताया जा रहा है कि उत्पादित चारा, मुर्गी फीड एवं टोटल मिक्स राशन दूसरे जिलों परिवहन पर रोक लग दी गई है. साथ ही निर्देश दिया गया है कि जिले के बाहर के लोगों को चारे की नीलामी की अनुमति न दी जाए, ताकि जिले में चारे कमी न हो सके और कानून व्यवस्था भी बनी रहे.
बेहद कम हुई पिछले वर्ष बारिश
दरअसल, परभणी जिले में औसतन से कम वर्षा के कारण इस अवधि के दौरान जानवरों के लिए चारे की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है. जिले में पिछले वर्ष की बुवाई की रिपोर्ट के अनुसार 1 अप्रैल 2023 तक 355174 मैट्रिक अन चारा शेष है, जो 2024 तक चल सकता है. प्रशासन का कहना है कि ऐसे में चारे की कमी और कम उपलब्धता को देखते हुए भविष्य में चारे की कमी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. जिस वजह से जिले में उत्पादित चारा, टोटल मिक्स राशन के परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. प्रशासन का कहना है कि इस प्रतिबंध लगने की वजह से 2024 तक यहां चारे की कोई कमी नहीं होगी.
प्रशासन ने कहा सोच-समझकर लिया फैसला
प्रशासन की ओर से कहा गया कि जिले में उत्पादित चारा, मुर्गी फीड और टोटल मिक्स राशन को दूसरे जिलों में परिवहन पर रोक लगाने का फैसला बिल्कुल सोच समझकर लिया गया है. कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट रघुनाथ गावड़े ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत निहित शक्ति का प्रयोग किया गया है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सूखा के बाद कितनी गंभीर स्थिति है, जो बताने के लिए परभणी जिला प्रशासन का ये आदेश काफी है. एक ही राज्य में दूसरे जिलों में चारा ले जाने पर रोक लगा दी गई है. ताकि अपने जिलों में पशुओं को दिक्कत न हो.
पूरे देश में है चारे की कमी
बता दें कि चारे की कमी की समस्या कोई नई नहीं है. काफी समय से ही पशुपालकों को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि सरकार पशुओं को हरा और सूखा चारा की कमी को दूर करने के लिए कई प्रयास कर रही है. यही वजह है कि साइलेज के उत्पादन को बढ़ावा देने पर भी काम किया जा रहा है. जबकि बहुत से पशुपालक साइलेज का उत्पादन करने भी लगे हैं. जिससे पशुओं को सालभर चारा मुहैया कराया जा रहा है. पशुओं को चारा की कमी की वजह से दूध उत्पादन में भी असर पड़ता है. क्योंकि जब पशुओं को भरपूर चारा नहीं मिलता तो उनका उत्पादन कम हो जाता है.
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