नई दिल्ली. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग ने जई की नई उन्नत किस्म एचएफओ-906 विकसित की हैं. देश के उत्तर पश्चिमी राज्यों के किसानों व पशुपालकों को जई की इस किस्म से बहुत लाभ मिलेगा. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा व पाचनशीलता अधिक होने के कारण ये पशुओं के लिए बहुत ही उत्तम हैं. इस चारे का प्रयोग करने से पशुओं में दूध की मात्रा भी बढ़ जाएगी.
कुलपति ने बताया कि देश में 11.24 प्रतिशत हरे व 23.4 प्रतिशत सुखे चारे की कमी है जिसके कारण पशुओं की उत्पादकता प्रभावित हो रही है. चारे की अधिक गुणवत्तापूर्ण व ज्यादा पैदावार देने वाली किस्में विकसित होने से पशुपालकों को लाभ होगा व पशुओं की उत्पादकता भी बढ़ेगी. साथ ही एचएफओ 906 किस्म राष्ट्रीय स्तर की चैक किस्म कैंट एवं ओएस 6 से भी 14 प्रतिशत तक अधिक हरे चारे की पैदावार देती है. जई की एचएफओ 906 एक कटाई वाली किस्म है. उन्होंने बताया भारत सरकार के राजपत्र में केन्द्रीय बीज समिति की सिफारिश पर जई की एचएफओ 906 किस्म को देश के उत्तर-पश्चिमी जोन (हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व उतराखंड) के लिए समय पर बिजाई हेतु अनुमोदित की गई हैं.
दूसरे प्रदेशों में भी बढ़ रही मांग
कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई फसलों की किस्मों का न केवल हरियाणा अपितु देश के अन्य राज्यों के किसानों को भी लाभ हो रहा है. हकृवि द्वारा विकसित किस्मों की मांग अन्य प्रदेशों में भी लगातार बढ़ती जा रही है. यह हकृवि के साथ हरियाणा राज्य के लिए गर्व की बात है. उन्होंने इस उपलब्धि के लिए चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों को बधाई दी और भविष्य में भी अपने प्रयास जारी रखने का आह्वान किया.
उत्तर-पश्चिमी राज्यों के लिए विकसित जई की नई किस्म की विशेषताएं
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. पाहुजा ने जई की नई किस्म की विशेषता का उल्लेख करते हुए बताया कि एचएफओ—906 किस्म की हरे चारे की औसत पैदावार 655.1 क्विंटल व सूखे चारे की औसत पैदावार 124.4 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है. इसकी बीज की औसत पैदावार 27.4 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है जबकि क्रूड प्रोटीन की पैदावार 11.4 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है. इस किस्म के चारे में प्रोटीन की मात्रा 10 प्रतिशत है जिसके कारण इसके चारे की गुणवत्ता पशुओं के लिए अधिक लाभदायक है.
एचएफओ-906 किस्म को विकसित करने में इन वैज्ञानिकों का रहा योगदान
इस किस्म को विकसित करने में चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों डॉक्टर योगेश जिंदल, डॉक्टर डी.एस. फोगाट, डॉक्टर सत्यवान आर्य, डॉक्टर रवीश पंचटा, डॉक्टर एस.के. पाहुजा, डॉक्टर सतपाल एवं डॉक्टर नीरज खरोड़ का योगदान रहा है.इस अवसर पर अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर गजराज सिंह दहिया, मीडिया एडवाइजर डॉक्टर संदीप आर्य एवं एसवीसी कपिल अरोड़ा भी उपस्थित रहे.
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