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Fodder: गर्मी में पशु के दूध को और पौष्टिक बनाना चाहते हैं तो जानवर को देना शुरू कर दें ये खुराक

चारे की फसल उगाने का एक खास समय होता है, जोकि अलग-अलग चारे के लिए अलग-अलग है.
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. दुनियाभर में दूध की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है, खुद को सेहतमंद रखना है तो पौष्टिक दूध बहुत जरूरी है. गर्मियों में अब ये पौष्टिक दूध पशुओं से कैसे मिलेगा, ये एक बड़ी समस्या है. क्योंकि गर्मी में हरे औरर पशुओं पौष्टिक आहार की कमी हो जाती है. ऐसे में अच्छा फीड पशुओं के लिए बहुत जरूरी है. यही वजह है कि किसानों के सामने एक और बड़ी समस्या है कि बिना पौष्टिक आहार के पशुओं में दूध की मात्रा को कैसे बढ़ाया जाए. इस संकट को दूर करने के लिए हम आपको कुछ सलाह दे रहे हैं, जिनका अगर पालन करेंगे तो कभी भी दूध की कमी नहीं होगी और दूध भी गुणवत्ता पूर्वक होगा, जिससे पशु पालक अधिक आय अर्जित कर सकते हैं. गौरतलब है कि गाय-भैंस के दूध में फैट और एसएनएफ होता है, ये जितना ज्यादा होता है दूध की क्वालिटी उतनी ही बेहतर मानी जाती है.

पशुओं में दूध की मात्रा को बढ़ाने के साथ ही दूध की गुणवत्ता को बेहतर करना आज के दौर में किसानों के सामने एक बड़ी समस्या है. वो भी अगर गर्मी की बात करें तो पौष्टिक आहार की कमी के कारण पशु दूध देना तो बंद कर ही देते हैं जो देते भी हैं तो ठीक से फीड न मिलने के कारण पशु गुणवत्ता पूर्वक दूध नहीं देते.बता दें कि गाय-भैंस के दूध में फैट और एसएनएफ होता है, ये जितना ज्यादा होता है दूध की क्वालिटी उतनी ही बेहतर मानी जाती है. अधिक फैट और एसएनएफ के दूध से बने प्रोडेक्ट को बेहतर माना जाता है. मगर, एक तो गर्मी में पौष्टिक आहार मिल नहीं पाता इसके अलावा देश के ज्यादातर पशुपालकों को इस बारे में जानकारी भी नहीं होती, जिस कारण पशु गुणवत्ता पूर्ण और ज्यादा दूध नहीं दे पाते. अगर, ऐसा है तो घबराने की कोई जरूरत नहीं, livestockanimalnews इस खबर के माध्यम से कुछ ऐसी टिप्स दे रहा है, जिसके माध्यम से आप अपने पशु के दूध में फैट एसएनएफ बढ़ा सकते हैं.

दूध में कितना होता है फैट
गाय के दूध को पतला और भैंस के दूध को मोटा कहा जाता है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि गाय के दूध में कम फैट पाया जाता है और इसमें 90 प्रतिशत तक पानी होता है जबकि भैंस के दूध में फैट अधिक होता है और इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अधिक होती है. आंकड़ों पर गौर करें तो गाय के दूध में 4 से 5 प्रतिशत फैट पाया जाता है. वहीं भैंस के दूध में 6 से 10 प्रतिशत तक फैट पाया जाता है. दूध के अंदर पानी और बटरफैट के अलावा जो पदार्थ होते हैं उन्हें एसएनएफ (सोलिड्स-नॉन-फैट) कहते हैं. एसएनएफ में विटामिन, लैक्टोज और खनिज पदार्थ आदि शामिल होते हैं. गाय के दूध में अमूमन 8.5 प्रतिशत तक एसएनएफ पाया जाता है. वहीं भैंस के दूध में 9 प्रतिशत तक एसएनएफ मौजूद होता है.

अपने पशु के आहार में करें ये बदलाव
पशु पालक अक्सर दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने के मकसद से हरे चारे की मात्रा को बढ़ा देते हैं जबकि ये उल्टा असर करता है.
गाय या भैंस का हरा चारा अधिक मात्रा में देने से उनकी दूध देने की क्षमता तो बढ़ जाती है लेकिन दूध से फैट और एसएनएफ कम हो जाता है. वहीं जो पशु सूखा चारा खाकर दूध देता है उसमें फैट और एसएनएफ की मात्रा को बढ़ जाती है. हालांकि दूध देने की क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में किसान पशुओं को 60 प्रतिशत हरा चारा और 40 प्रतिशत सुखा चारा दें तो ज्यादा बेहतर होगा.
किसान इसका भी ख्याल रखें कि अचानक पशु के आहार में कोई बड़ा बदलाव न करें. ऐसा करने से पशु की दूध देने की क्षमता पर असर पड़ सकता है.

नस्ल पर भी निर्भर करता है दूध में एसएनएफ और फैट की मात्रा
डेयरी विशेषज्ञों की मानें तो दूध में फैट और एसएनएफ की मात्रा कितनी होगी यह पशु की नस्ल पर निर्भर करता है. अगर आप चाहते हैं कि दूध में फैट और एसएनएफ का स्तर ज्यादा हो तो सबसे जरूरी है कि एक उन्नत नस्ल वाली गाय या भैंस खरीदें. साथ ही सही मात्रा में आहार दें और तय चारे को नियमित रूप से दें.
ये फार्मूला अपनाएं
100 ग्राम टाटा नमक.
200 ग्राम सरसों का तेल.
100 ग्राम गुड़.
100 ग्राम कैल्शियम.

नोट: इन सभी पदार्थों को अपने पशु को चारे में मिलाकर दें ऐसा करने से पशु अधिक से अधिक दूध तो देगा ही. इसके साथ ही दूध की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.

दूध में फैट और एसएनएफ बढ़ाने का अन्य उपाय
सबसे पहले पशुपालक मक्का लें और इसे बिल्कुल बारीक पीस लें ठीक आटे की तरह.अब इसे छानकर इसमें कुछ पानी डालें और इसे गूंथ लें. इसके बाद इसके छोटे छोटे के पेड़े बनाएं और चकला बेलन से बेल लें. अब इसे तवे पर सेकें और रोजाना सुबह इनकी तीन से चार रोटियां अपने पशु को खाने के लिए दें.इस उपाय को कुछ दिन तक लगातार दोहराते रहें। ऐसा करने से गाय या भैंस के दूध में न केवल फैट की मात्रा बढ़ने लगेगी बल्कि एसएनएफ भी बढ़ जाएगा.

अमूल डेयरी ने बनाई नई किस्म की फीड
अमूल डेयरी ने एक नई फ़ीड की किस्म लॉन्च की है जो गाय और भैंस के दूध में ठोस-गैर-वसा (एसएनएफ) में सुधार करेगी.देश के घरेलू डेयरी उद्योग में दूध में कम फैट और एसएनएफ की समस्या आम है. दुग्ध संघ के अध्ययन से पता चला कि कम एसएनएफ सामग्री डेयरी पशुओं को दिए जाने वाले आहार में कम प्रोटीन और ऊर्जा के कारण थी. अमूल के अधिकारियों ने कहा कि हमने एक परियोजना शुरू की थी जिसके माध्यम से हमारे मिल्क शेड क्षेत्र के सभी गांवों में 3,000 मशीनें स्थापित की गईं.

अमूल एसएनएफ वृद्धि को लॉन्च किया
एक विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से, हमने अपने डेयरी किसानों को वसा और एसएनएफ सामग्री का विवरण प्रदान करना शुरू किया, अमूल डेयरी के एमडी अमित व्यास ने कहा. “हमने डेयरी पशुओं में कम एसएनएफ सामग्री के पीछे के कारणों का भी मूल्यांकन करना शुरू कर दिया है. आमतौर पर कम एसएनएफ सामग्री के पीछे तीन मुख्य कारण होते हैं जिनमें दूध के साथ पानी मिलाना, सबक्लिनिकल मास्टिटिस (जो दूध उत्पादन को कम करता है) या विटामिन और खनिज युक्त फ़ीड की कमी शामिल है” उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम से पहले, अमूल डेयरी के अध्यक्ष विपुल पटेल ने अन्य बोर्ड सदस्यों के साथ एक फ़ीड पूरक के रूप में अमूल एसएनएफ वृद्धि को लॉन्च किया है जो डेयरी किसानों की दूध की उपज,वसा और एसएनएफ सामग्री में सुधार करेगा.

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Livestock Animal News

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