Home पशुपालन Goat Farming: सीआईआरजी के विशेषज्ञों की इन बातों को मानेंगे तो पशुओं की नस्ल में ये होगा सुधार
पशुपालन

Goat Farming: सीआईआरजी के विशेषज्ञों की इन बातों को मानेंगे तो पशुओं की नस्ल में ये होगा सुधार

RG, Goat Research, Goat Breed, Central Goat Research Institute, Goat Husbandry
प्रशिक्षण लेने वाले विद्यार्थी सीआइआरजी की टीम के साथ.

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में मथुरा के मकदूम स्थित केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान में आणविक एवं जैव सूचना विज्ञान पर दिनांक सोमवार यानी 11 मार्च-2024 से चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया. प्रशिक्षण कार्यक्रम में सात राज्यों से आए हुए 23 मास्टर्स विद्यार्थियों एवं पीएचडी स्कोलर्स ने बकरी अनुसंधान के बारे में विशेषज्ञों से जाना. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सात राज्यों से आए मास्टर्स विद्यार्थियों एवं पीएचडी स्कोलर्स ने बकरी अनुसंधान के बारे में जानने के साथ ही यहां पर पाली जा रहीं सभी तरह की नस्लों की बकरियों के शेड में जाकर भी बारीकियों से बकरी पालन से लेकर इनके इलाज का भी तौर-तरीका समझा.

यह प्रशिक्षण कार्याक्रम अनुसचूति जाति विकास कार्याक्रम योजना के अंतर्गत संस्थान के अनुवांशिकी एवं प्रजनन विभाग में आयोजित किया गया. उद्घाटन सत्र के दौरान परियोजना के नोडल अधिकारी डॉक्टर गोपाल दास ने परियोजना का उद्देश्य व अनुसूचित जाति के विकास के लिए चल रही गतविधियों से अवगत कराया. विशेषज्ञों का सबसे ज्यादा फोकस पशुओं में आनुवांशिकी सुधार के लिए डीएनए आधारित आणविक मार्करों के बारे में बताया गया.

पशुओं सुधार और मांस की गुणवत्ता के लिए तकनीक बताई
प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के निदेशक डॉक्टर मनीष कुमार चेटली द्वारा किया गया, साथ ही संस्थान के निदेशक द्वारा पशुधन सुधार और मांस की गुणवत्ता में प्रोटिऔमिक्स तकनीकियों की महत्वता के बारे में व्याख्यान दिया गया. साथ ही अतिथि व्याख्यान के लिए कार्यक्रम में शामिल हुए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च, नई दिल्ली के वैज्ञानिक डॉक्टर आदित्य आर्य ने पशुधन में आनुवांशिकी सुधार के लिए डीएनए आधारित आणविक मार्करों के चयन पर प्रजंटेशन दिया.

कोविड-19 के नमूने लेकर पता लगाया बीमारी के बारे में
प्रशिक्षणार्थियों ने आरटीपीसआर का उपयोग करके COVID-19 नमूनों का निष्कर्ष और रोगों का पता लगाने के लिए प्रयोगात्मक कार्य सीखा. बाहर से आए विद्यार्थियों को ये प्रैक्टिकल डॉक्टर आदित्य आर्य के साथ डॉक्टर राकेश कौशिक एवं स्नेहा सिंह ने कराया. जन संपर्क अधिकारी पुष्पेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि इस प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम के निदेशक डॉक्टर मनीष कुमार चेटली, पाठ्यक्रम समन्वयक, डॉक्टर गोपाल दास, डॉक्टर के गुरूराज, डॉक्टर अरविन्द कुमार, डॉक्टर राकेश कौशिक थे व पशु आनुवांशिकी प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर मनोज कुमार सिंह भी उपस्थित रहे.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

ये गाय गोवा के जलवायु का सामना करने की बेहतरीन क्षमता रखती है. सबसे बड़ी खासियत यही है. इस नस्ल की गाय खासियत ये भी है कि ये बहुत ही कम खर्च में अपना गुजारा कर लेती है.
पशुपालन

Native Breed Of Goa: गोवा की पहचान है श्वेता कपिला गाय, जानिए क्या है इसकी खासियत

ये गाय गोवा के जलवायु का सामना करने की बेहतरीन क्षमता रखती...

सीता नगर के पास 515 एकड़ जमीन में यह बड़ी गौशाला बनाई जा रही है. यहां बीस हजार गायों को रखने की व्यवस्था होगी. निराश्रित गोवंश की समस्या सभी जिलों में है इसको दूर करने के प्रयास किया जा रहे हैं.
पशुपालन

Animal Husbandry: नई तूड़ी देने से पशुओं को हो सकती है ये परे​शानियां, क्या सावधानी बरतें, जानें यहां

पशुओं में पाचन सम्बन्धी समस्या हो जाती हैं. वैज्ञानिकों ने बताया कि...