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Goat Farming: चार बच्चे देती हैं मीट लिए खूब ज्यादा पसंद की जाने वाली ये खास नस्ल की बकरियां

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सोनपरी की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भारत में बकरे-बकरियों की 37 नस्ल को पशु पालक पालते हैं. कुछ नस्लों को दूध के लिए तो कुछ को मीट के लिए पाला जाता है. जबकि कुछ नस्लें दूध-मीट दोनों के लिए पाली जाती हैं. इसके अलावा मौसम और वातावरण के हिसाब से भी राज्यावार बकरियों के पालने की व्यवस्था है. वहीं कई नस्लें तो मीट के लिए देश ही नहीं विदेशों में, खासतौर पर अरब देशों में खासी पसंद की जाती हैं. इस लिस्ट में बकरों की एक और खास नस्ल शामिल हो सकती है, जिसे मीट के लिए पसंद किया जाता है. दरअसल, गुजरे तीन साल से केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा इसको लेकर रिसर्च कर रहा है. इस बकरी की नस्ल को सोनपरी नाम से जाना जाता है. इसे रजिस्टर्ड कराने के मकसद से फाइल संबंधित विभाग को भेजी गई है. वहीं रिसर्च के और रिजल्ट देखने के लिए सोनपरी नस्ल के बकरे और बकरियों को सीआईआरजी में भी रखा गया है. बता दें कि सोनपरी नस्ल के बकरे-बकरी बैरारी और ब्लैक बंगाल से मिक्स हैं. जिसकी वजह से से ये मीट के लिए खास बन जाती है. वजन की बात की जाए तो ये 24 से 28 किलो तक होते हैं लेकिन दूसरे बकरों के मुकाबले इनका मीट महंगे दाम पर बेचा जाता है. ये खास नस्ल वाराणसी, सोनभद्र और मिर्जापुर में बहुत पाई जाती है.

कैसे तैयार किया गया इस नस्ल को
सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. चेतना गंगवार कहते हैं कि काफी साल पहले सोनभद्र और मिर्जापुर के इलाकों में किसानों की मदद के मकसद से उनके बीच बैरारी नस्ल की बकरी बांटी गईं थी. किसान इसे पालकर दूध से परिवार का पालन-पोषण करते थे. वहीं इन्हीं किसानों ने बैरारी बकरी और ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरे को क्रास किया और इससे एक नई नस्ल तैयार हो गई. जानकारी में रहे कि ब्लैक बंगाल पश्चिम बंगाल की नस्ल है, लेकिन इसका पालन सोनभद्र, वाराणसी, मिर्जापुर, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी होता है. जिस वजह से किसानों ने ये प्रयोग किया. ब्लैंक बंगाल नस्ल‍ मीट के लिए बहुत ज्यादा पसंद की जाने वाली नस्ल है.

सोनपरी नस्ल की बकरी
सोनपरी बकरी की खासियत के बारे में बात करते हुए डॉ. चेतना गंगवार कहते हैं कि ये 22 फीसद केस में चार बच्चे तक जन्म दे देती है. जबकि सामान्य तौर पर ये दो और तीन बच्चे देती ही है. वहीं अन्य नस्ल की बकरियां खास केस में ही तीन बच्चे तक देती हैं. बकरी पालक इन बकरी को इस वजह से भी पसंद करते हैं कि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता जयादा होती है. वहीं इसका मीट इसलिए अच्छा होता है कि ये ब्लैक बंगाल का अंश हैं. इसे मीट के लिए कितना पसंद किया जाता है, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अन्य नस्ल के बकरों के मुकाबले इसका मीट 200 रुपये किलो महंगा होता है. इस नस्ल के बकरे का वजन डेढ़ साल की उम्र 24 से 28 किलो तक हो जाता है.

इस तरह करें बकरे-बकरी की पहचान
डॉ. चेतना गंगवार ने बताया कि अगर किसान सोनपरी नस्ल के बकरे-बकरी खरीना चाहते हैं तो इसकी पहचान भी कर लें. ये दिखने में डार्क ब्राउन कलर के होते हैं. इनकी पीठ यानि रीढ़ की हड्डी पर गर्दन से लेकर पूंछ तक काले रंग के उभरे हुए बाल होते हैं. एक पहचान ये भी है कि इगले पर काले उभरे हुए बालों की रिंग (गोला) होती है. जबकि इनकी सींग नुकीले और पीछे की ओर होते हैं. ये मध्यम आकार की बकरी होती है. पूंछ के पास थाई पर भी ब्राउन और ब्लैक कलर के उभरे हुए बाल होते हैं.

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