नई दिल्ली. अक्सर बीमारी की वजह इंसानों के खून में प्लेटलेट्स काउंट कम हो जाता है, तब इसे बढ़ाने के लिए बकरी का दूध बेहतरीन काम करता है. क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा प्रोटीन होता है. डेंगू और कोरोना काल में बकरी के दूध की मांग बढ़ी थी. बरसात से सर्दी के मौसम तक बकरी के दुग्ध उत्पादन में 70 प्रतिशत कमी आती है. सीजन आफ में भी बकरी के दूध का पावडर उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मखदूम ने चार वर्ष की मेहनत के चाद सफलता हासिल कर ली है. संस्थान में पावडर तैयार होने लगा है.
मथुरा के फराह स्थित मखदूम में केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान में बकरी की नई प्रजातियां और ज्यादा दूध देने वाली नस्ल पैदा करने का काम चल रहा है. डेंगू के मरीजों को जल्द स्वस्थ करने में बकरी के दूध की उपयोगिता साबित होने के बाद संस्थान में बकरी दूध के उत्पाद बनाने की और तेजी से काम चल रहा है. बीते वर्ष पुणे से 20 लाख रुपये में नई मशीन मंगाई गई है. मार्च, 2025 के अंत में दूध का पावडर बनाने का काम शुरू हुआ.
बकरी के दूध की खूबी पढ़ें यहां
संस्थान के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली अब तक करीब छह किलो पावडर बन चुका है. अब बाजार में उतारने की भी तैयारी है. इसके लिए महाराष्ट्र को सामाजिक संस्था निदि फाउंडेशन से एमओयू हुआ है. इसकी कीमत तय करने पर मंथन चल रहा है. सामाजिक संस्था महिला स्वयंसहायता समूह के जरिए बकरी पालन को बढ़ावा देने के साथ दूध से पावडर बनाकर बाजार में उतारेंगे. गौरतलब है कि बकरी के दूध में मैग्नीशियम, पोटेशियम, सोडियम और विटामिन थी-3 की मात्रा अधिक होती है. इसके अलावा कैल्शियम, फास्फोरस का भी ये अच्छा सोर्स है. ये प्लेटलेट्स काउंट बढ़ाने के साथ हड्डियों की सामान्य संरचना को बनाए रखने में मदद करता है.
फ्री में बनवाया जा रहा है पाउडर
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान किस्सनों की आय बढ़ाने की ओर भी काम कर रहा है. इसके लिए बकरी दूध नसे बने उत्पाद के प्रति लोगों को प्रेरित करने के लिए फरह में हाईवे पर एक काउंटर लगाने का विचार चल रहा है. इस काउंटर पर इन उत्पादों की खूबियों के बारे में बताया जाएगा. वहीं बकरी और गाय पालकों को भी दूध का पाउडर बनाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. उनको बताया जा रहा है कि दूध लाकर यहा निश्शुल्क पाउडर बनवा सकते हैं.
संस्थान में ये बनाए जा रहे कई प्रोडक्ट
बकरी के दूध से आइसक्रीम, योगट, मोज्जेल्ला चीज, गौडा, छेवरा, कलड़ी वीज, बटर मिल्क, बिस्किट बताए जा रहे हैं. इसके अलावा यहां बकरी के दूध का पनीर बनाया जाता है. इस पनीर के बचे हुए पानी से साबुन बनाया जा रहा है. आने वाले समय में ये उत्पाद भी बाजार में उतारे जाएंगे. इन सभी उत्पाद की कीमत नो प्रॉफिट नो लास पर आधारित रखने पर विचार चल रहा है. संस्थान में बकरी के दूध का पावतार बनाने का काम शुरू किया गया है. यहां किसानों के लिए भी निश्शुल्क सुविधा है कि वे अपनी बकरियों का दूध लाकर यहां पावडर बनवा सकते हैं. इस पावडर को दे सीधे बाजार या अन्य माध्यम से बेचकर अधिक मुनाफा कमा सकते है.
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