नई दिल्ली. बकरी पालन एक बेहतरीन व्यवसाय है और इससे लाखों रुपए कमाए जा सकते हैं. क्योंकि बकरी पालन को हर हालात में किया जा सकता है. क्योंकि बकरी पालन में नुकसान होने का खतरा कम रहता है और बकरी पालन को कम लागत में भी किया जा सकता है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट ने लाइव स्टक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) को जानकारी देते हुए बताया कि बकरी पालन को तीन तरीकों से किया जा सकता है. अब ये किसानों पर निर्भर करता है कि वो बकरी पालन किसा तरह से करना चाहते हैं.
यहां लाइव स्टक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) आपको उन्हीं तीन तरीकों के बारे में जानकारी देने जा रहा है, जो आपको काफी मदद पहुंचाएगी.
जहां चराने की जगह न हो
इस तरीके को सघन तरीका कहा जाता है. ये उन क्षेत्रों के लिये उपयुक्त है जहां बकरियों के चराने के लिये पर्याप्त चरागाह उपलब्ध नहीं है. इस तरीके में बकरियों को फार्म या घर पर रखकर ही उनकी चारे-दाने की सभी आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है. इसे जीरो ग्रेजिंग मेथड भी कहते हैं. अन्य तरीकों की तुलना में इस तरीके के अनुसार बकरी पालन करने पर बकरियों से उनकी आनुवंशिक क्षमता के अनुरूप उत्पादन लिया जाना सम्भव है.
दूसरा तरीका क्या है
बकरी पालन का दूसरा तरीका उन परिस्थितियों के लिये अनुकूल है, जब चरागाह की सुविधा केवल सीमित क्षेत्रों में उपलब्ध हो साथ ही उनमें चारे की उपलब्धता भी जरूरत से कम हो. ऐसी दशा में चरागाह का उपयोग बकरियों को सीमित समय के लिये चराने के लिये किया जाता है जिससे पूरे साल चरने की सुविधा बनी रहे. इस तरह बकरियों के आहार की पूर्ति सीमित चराई के साथ उनको घर पर रखकर दाना—चार दिया जाता है और उनकी जरूरतों को पूरा किया जाता है.
तीसरा तरीका क्या होता है
तीसरे तरीके की बात की जाए इसे इसमें बकरियों को केवल चराकर ही पाला जा सकता है. यदि चरागाहा अच्छी गुणवत्ता वाले हैं तो बकरियों को आवास पर अलग से चारा व दाने की आवश्यकता नहीं होती है. उनकी जरूरतें चरागाहों से ही पूरी हो जाती हैं. इस पद्धति में प्रबन्धन तो आसान होता है लेकिन यह देखा गया है कि बकरियों का उत्पादन उस अनुरूप में नहीं हो पाता है जितनी बकरियों की क्षमता होती है.
निष्कर्ष
बताए गए तीनों तरीके से ही बकरी पालन किया जा सकता है लेकिन आपको ये खुद तय करना होगा कि कौन सा तरीका आपके लिए बेहतर है.
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