नई दिल्ली. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम में कृत्रिम गर्भाधान तकनीक पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. 17 जनवरी को समाप्त हुए इस आयोजन में कृत्रिम गर्भाधान से जुड़े अहम पहलुओं पर विस्तार के साथ चर्चा हुई और प्रशिक्षण कार्यक्रम में मोजूद लोगों को इसकी बारीकियों के बारे में जानकारी दी गई. इस कार्यक्रम में उड़ीसा से आये हुए 20 पशु चिकित्सक अधिकारियों जिसमें 13 पुरुष एवं 7 महिलाएं शामिल थीं को बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान विषय पर प्रशिक्षण प्रदान किये गये.
उन्नत बछड़े.बछियों को पैदा कराना कृत्रिम गर्भाधान से ही संभव
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर डॉ. अशोक कुमार सहायक उप महानिदेशक नई दिल्ली ने कृत्रिम गर्भाधान पर प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया. जिन्होंने उड़ीसा से आये हुए 20 पशु चिकित्सकों को कृत्रिम गर्भाधान से होने वाले फायदों पर रौशनी डाली और भारत सरकार के अंतर्गत चलने वाली विभिन्न योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी. कहा कि कृत्रिम गर्भाधान के कारण बकरों का चयन करना संभव होता है. क्योंकि अनेक पशुओं में प्रजनन हेतु कम बकरों की आवश्यकता होती है. इसके अलावा उच्च कोटि के सांड़ों का उपयोग अनेक पशुओं में करके ही हजारों की संख्या में उन्नत बकरे-बकरियों को पैदा कराना कृत्रिम गर्भाधान से ही संभव है.
साइंटिफिक एक्टिविटी से कराया रूबरू
इसके साथ ही संस्थान के निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली ने संस्थान में होने वाली विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों से परिचित कराया. उन्होंने कृत्रिम गर्भाधान से नस्ल सुधार पर विशेष चर्चा की. पशु पालन विभाग उड़ीसा द्वारा 15 से 17 जनवरी 2024 तक प्रायोजित इस कार्यशाला में बकरियों में कृत्रिम गर्भाधान पर प्रशिक्षण दिया गया. इस कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. रवि रंजन, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में होने वाली गतिविधियों पर प्रकाश डाला. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार, डॉ. मुकेश भकत, डॉ. रवीद्र कुमार, डॉ. एम. के. सिंह, एवं डॉ. ए के दीक्षित उपस्थित रहे.
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