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Animal News: तो क्या दूध न देने वाले पशुओं को रखने पर किसानों को मिलेगी आर्थिक मदद ! पढ़ें डिटेल

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद रंजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि संबंधी संसदीय स्थायी समिति (पीएससी) ने बेसहारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी की फिर से सिफारिश की है. समिति ने केंद्र सरकार से पशुधन का बीमा करने के लिए आवंटन बढ़ाने को कहा है. पैनल ने लिंग-सॉर्टेड सीमेन तकनीकों का इस्तेमाल करके नर गोजातीय बच्चों के जन्म को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय पशु हस-बांदरी विभाग के प्रयासों की सराहना की है. जिससे केवल मादा बछड़े 90 फीसदी सटीकता दर के साथ पैदा होते हैं.

वहीं अपनी सिफारिश में पैनल ने कहा कि 193.46 मिलियन मवेशियों और 109.85 मिलियन भैंसों की मौजूदा पशुधन आबादी से आवारा पशुओं की और इजाफे को रोकने की भी जरूरत है. इसलिए, समिति सिफारिश करती है कि कुछ प्रोत्साहन या सब्सिडी दी जाए.

निधि को बढ़ाने का रखा प्रस्ताव
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश भर में गौशालाओं (पशु आश्रयों) के संवर्धन के लिए निधि आवंटन में इजाफा करने की बात कही है. इसके अलावा कृषि श्रमिकों और खेतिहर मजदूरों को गौशालाओं की सेवाओं का फायदा उठाने के अलावा अपने प्रोडक्शन करने वाले गोजातीय पशुओं की देखभाल के लिए सरकारी प्रोत्साहन और मदद हासिल करने का विकल्प रखने के साथ-साथ गौशालाओं और भैंसों की देखभाल करने के लिए किसानों और खेतिहर मजदूरों को मदद दी जा सकती है.

एक फीसदी पशुधन हो रहे कवर
पैनल ने यह भी नोट किया कि पशुपालन और डेयरी विभाग केंद्र सरकार के तहत पशुधन आबादी का केवल एक फीसदी कवर कर रहा है. कम बजट प्रावधान के कारण पशुधन बीमा के लिए राष्ट्रीय जीवन रक्षा मिशन प्रायोजित किया गया है. पशु हस्बन-शुष्क गतिविधियों में लगे 10 करोड़ से अधिक लोगों के जोखिम को देखते हुए, समिति सिफारिश करती है कि सरकार को इस योजना के दायरे में 53.5 करोड़ पशुधन आबादी को लाने के लिए तुरंत बड़े पैमाने पर पशुधन बीमा योजना शुरू करनी चाहिए.

डेयरी में बढ़ जाएगा मुनाफा
समिति की ओर से कहा गया कि वो सिफारिश करती है कि पशुधन बीमा योजना को चलाने के लिए सरकार द्वारा अधिक आवंटन उपलब्ध कराया जा सकता है. समि​ति ने केंद्र सरकार को पशु आहार और चारे की उपलब्धता में आत्मनिर्भरता के लिए काम करने के लिए भी कहा है. समिति ने कहा कि अगर हरे चारे की उपलब्धता बढ़ती है तो इसका फायदा किसानों को मिलेगा. किसानों को दूध उत्पादन पर खर्च की जाने वाली लागत में कमी आएगी. इससे किसानों को सीधे तौर पर फायदा होगा. वहीं पशु आहार पर किसानों की निर्भरता भी कम हो जाएगी. इससे डेयरी का प्रॉफिट मार्जिन बढ़ेगा.

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