नई दिल्ली. बकरियों की शरीरिक मजबूती देने और उनसे बेहतर उत्पादन लेने के लिए उनकी हैल्थ का सही रहना बेहद ही जरूरी है. जब बकरियों की सेहत अच्छी होगी, तभी उनका शरीर मजबूत होगा और ज्यादा उत्पादन कर पाएंगी. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट का कहना है कि ये तभी संभव हो पाएगा जब हैल्थ मैनेजमेंट सही तरह से किया जाए. इसके लिए लगातार कोशिश करने की जरूरत है. रेवड़ में हरने वाला पशु जब तक हैल्दी नहीं रहेगा, तब तक उत्पादन बेहतर नहीं मिल सकता है.
इसके लिए जरूरी है कि पशु का चयन करते समय प्रजनन योग्य समूह से बेहतर गुणों, स्वभाव तथा प्रजनन क्षमता देखी जाए. इसी के आधार पर अच्छे पशुओं का चुनाव करना चाहिए.
कितन बातों पर दें ध्यान
बकरियों के खून की जांच ब्रूसेलोसिस, लेप्टोस्पाइरोसिस आदि रोगों के लिये करनी चाहिए. संगठित क्षेत्रों में इन बीमारियों की उपस्थिति की सम्भावना अधिक होती है.
बकरियां बार—बार प्रजनन न कर पाएं तो वो किसी काम की नहीं हैं. बकरियों में कृमिनाशक दवाओं का प्रयोग समय व मौसम के अनुसार करना चाहिये.
किसी स्थान विशेष पर रेवड़ में लिवर फ्लूक की उपस्थिति होने पर पशुओं को साथ में रेनाइड, डिस्टोडिन, जेनिल जैसी दवायें भी पशु चिकित्सक की सहायता से उचित मात्रा में देनी आवश्यक हो जाती हैं.
बकरियों में प्रजनन क्षमता में सुधार के लिए विटामिन ए, डी व ई का इंजेक्शन विशेषकर गर्मी में फायदेमंद होता है.
संक्रमण रोगों के बचाव के लिए टीके, प्रजनन या गर्भावस्था से पूर्व लगाना जरूरी है.
प्रजनन क्षमता सुधार व अल्पता निवारण के लिए विटामिन, खनिज मिश्रण को रातब के साथ मिलाना चाहिए.
यह आवश्यक है कि क्षेत्रवार विकसित खनिज लवण मिश्रण भी बकरियों को खिलाना चाहिये. जैसे कैलमिन (फोर्ट), मिनटेक डी, लाइकामिन, शाक्तिमिन इत्यादि.
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