नई दिल्ली. पशुपालन में बकरियों को बीमारी से बचाना बेहद ही जरूरी होता है और ये तब संभव हो पाएगा, जब आपको ये पता होगा कि कैसे बकरियों को बीमारियों से बचाना है. बिना तरीका जानें आप बकरियों को बीमारी से नहीं बचा सकते हैं. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट ने लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) को बताया कि ये तरीका बहुत मुश्किल नहीं है. बस पशुपालन के काम में कुछ बातों का ध्यान देना होगा, जिससे बकरियों को बीमारियों से बचाया जा सकता है. तो आइए इस बारे में जानते हैं.
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की मानें तो सबसे जरूरी ये है कि उपयुक्त बाड़े में आरामदायक वातावरण देकर बकरियों को बाहरी प्रदूषण आदि से बचाना चाहिए. इसके अलावा कई जरूर चीजें हैं, जिसको करने से बीमारियां जानवरों के पास नहीं आती हैं.
क्या करना है जानें यहां
गहन पद्धति में पाली जाने वाली बकरियों के बाड़े तथा आहार व पानी के बर्तनों को नियमित सफाई बेहद ही जरूरी है. ताकि बाड़े व बर्तनों में रोगजनक परजीवी व कीट न पनप सकें.
जब बकरियां उत्पादन नहीं कर रही हैं, उन बकरियों को रेवड़ से छांटकर अलग करके उनके स्थान पर परीक्षित अच्छे प्रजनक पशुओं को रखना उनका प्रबंध करना बेहद ही जरूरी है.
बकरियों के अंदर होने वाले कीड़ों के लिये लगातार उनका मल परीक्षण जरूरी है. ताकि संक्रमण की कमी का पता लगाया जा सके. वहीं इसकी गंभीरता का समय से पता चल सके.
इससे उचित प्रभावी चिकित्सा में सहायता मिलती है. जिन क्षेत्रों में ज्यादा आन्तरिक परजीवी आपतन दर होती है.
वहां कीड़ों को खत्म करने के लिए कृमिनाशक प्रयोग कम से कम बरसात से पहले व बरसात के बाद करना चाहिये.
बाहरी रूप से बकरियों में किसी रोग लक्षण का अनुभव करते ही बीमार पशु को रेवड़ से अलग कर देना चाहिए.
इसके बाद पशु चिकित्सक की सहायता प्राप्त करने की कोशिश करना चाहिए.
इसके साथ ही बाड़े व पशु उपयोग के बर्तनों की सफाई व विसंक्रमण सम्बन्धित गतिविधियों को और गहन कर देना चाहिए.
बकरियों को अन्य पशुओं जैसे गाय, भेड़ आदि से अलग कर देना चाहिए. इससे पशुओं में विभिन्न रोगों व परजीवियों का आंतरिक बढ़ावा न मिल सके.
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