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Goat Farming: मीट के लिए करना चाहते हैं बकरी पालन तो जानें बिजनेस से जुड़ी अहम बातें यहां

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बाड़े में चारा खाती बकरियां.

नई दिल्ली. बकरी पालन (Goat Farming) का काम ऐसा है कि इसमें दूध के साथ—साथ आप मीट से भी कमाई कर सकते हैं. मीट के लिए पाले जाने वाले बकरों की उम्र जब एक से डेढ़ साल की हो जाती है तब उन्हें बेच दिया जाता है. इसके बदले में किसानों को एक मुश्त रकम मिल जाती है. जिससे उन्हें फायदा मिलता है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG) की मानें तो किसानों को ऐसे बकरे और बकरियों के दाम उनके वजन के हिसाब से मिलते हैं. क्योंकि व्यापारी वजन के हिसाब से ही मीट बेचते हैं.

जिस जानवर का वजन जितना ज्यादा होता है उसका दाम उतना ही अच्छा मिलता है. खासतौर से बकरीद के मौके पर खरीदार कुर्बानी के लिए ज्यादा वजन वाले बकरे की तलाश में रहते हैं. इस दौरान जानवरों का अच्छा रेट मिलता है. वहीं आम दिनों में कम वजन से वाले बकरे की डिमांड ज्यादा रहती है.

यहां पढ़ें किस तरह के बकरे की कब रहती है डिमांड
बकरीद के लिए वजनदार बकरों की डिमांड ज्यादा रहती है. अगर बकरे का वजन 40 से 50-55 किलो के बीच है तो ये हाथों—हाथ बिक जाता है.

दरअसल, लोग कुर्बानी के मीट को एक-दूसरे के बीच बांटते हैं, इसलिए ज्यादा वजन वाले बकरे खरीदे जाते हैं.

इसी के चलते इस वजन के बकरे बकरीद की मंडियों में खूब बिकने आते हैं.

वहीं बकरों की कुछ खास ऐसी नस्‍ल हैं जो सामान्य प्राकृतिक रूप से 40 से 55 किलो वजन तक के हो जाते हैं.

वहीं आम दिनों में बाजार में बिकने वाले बकरे के मीट के लिए 20 से 25 किलो वजन तक के बकरे को पसंद किया जाता है.

हालांकि मीट खाने के शौकीनों के लिए बकरे का वजन कोई मायने नहीं रखता है. उल्टे वो कम वजन वाले बकरे को वरीयता देते हैं.

निष्कर्ष
अगर आप मीट के लिए बकरों को पाल रहे हैं और बकरीद पर बेचना चाहते हैं तो ऐसी नस्लों को चुने जो ज्यादा वजन वाली हों. ताकि आपको अच्छा दाम मिल सके. वहीं आम दिनों के लिए कम वजन वाले बकरों की नस्ल को चुने.

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